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Chandrayaan 3 Landing: चांद पर उतरा चंद्रयान-3, जानें क्या होगा देश को फायदा

Chandrayaan 3 की 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंडिंग (chandrayaan 3 landed succesfully) हो गई। पूरे देश आज गर्व की अनुभूति कर रहा है...

Isro chandrayaan 3

टेक डेस्क। Chandrayaan 3 मिशन पूरी तरह से सफल रहा। 23 अगस्त 2023 को बिना किसी बाधा के उतर गया। 615 करोड़ रुपए वाले मिशन चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लोगों ने टीवी पर लाइव देखा और अंतरिक्ष की दुनिया में इसरो (Indian Space Research Organization) की कामयाबी के प्रत्यक्षदर्शी बने। अब Chandrayaan 3 वहां चांद की सतह पर खोज करेगा। जिसका किसी न किसी रूप में हर किसी को फायदा होगा। देश को इससे क्या लाभ हो आइए जानते हैं...

Isro chandrayaan

42 दिन का था चांद तक का सफर

Chandrayaan-3 को 14 जुलाई 203 को श्रीहरिकोटा से लांच किया गया था। इस बीच चंद्रयान-3 ने 42 दिनों का सफर पूरा कर सफल तरीके से लैंड हो गया। ऐसे में आप यह जरूर जानना चाहेंगे कि आखिर चंद्रयान-3 मिशन इतना महत्वपूर्ण क्यों है। क्यों इसकी चर्चा भारत के साथ पूरा विश्व कर रहा है। तो इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर हैं चार पेलोड 

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड रंभा (RAMBHA), चास्टे (ChaSTE), इल्सा (ILSA) और एलआरए  (LRA) हैं। रंभा चांद की सतह ओर सूर्य से आने वाले प्लाज्मा कणों की मात्रा और बदलाव के साथ घनत्व की जानकारी जुटाएगा। वहीं, चास्टे चंद्रमा के सतह तक तापमान का अध्ययन करेगा। जबकि, इल्सा उतरने वाले स्थान क्षेत्र यानी लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों को परीक्षण करेगा। वहीं, लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे चांद के सतह के डायनिमिक्स को समझ कर उसकी जानकारी इसरो को भेजेगा।

प्रज्ञान रोवर पर लगा है RIBS व APXS

प्रज्ञान रोवर पर लगा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS) सिस्टम चंद्रमा के सतह पर मौजूद रसायनों की मात्रा और खनिजों आदि के बारे में जानकारी देगा। वहीं, अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS) सिस्टम एलिमेंट्स कंपोजिशन के बारे अध्ययन करेगा। इसमें मैग्नीशियम, सिलिकॉन, पोटैशियम आदि शामिल हैं।

क्या होगा देश और देशवासियों को फायदा

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा के वायुमंडल, सतह वहां आने वाले भूकंप आदि का गहराई से अध्ययन करेगा। इससे इसरो समेत विश्व भर के वैज्ञानिकों चांद का और भी बारीकी से अध्ययन कर पाएंगे। वहीं, चांद पर उतर कर ऐसा कर पाने वाला भारत चौथा देश बन गया है। अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कर सके हैं। 

इसरो का अंतरिक्ष की दुनिया में बढ़ गया दबदबा

चंद्रयान-3 मिशन को सफलता से इसरो का अंतरिक्ष की दुनिया में दबदबा बढ़ गया है। इसरो की पहचान किफायती कामर्शियल लांचिंग की रही है। आंकड़े बताते हैं कि इसरो ने अब तक 34 देशों के 424 सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ा है। वहीं, 104 सैटेलाइट तो एक बार में ही लांच कर चुका है। चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी की खोज की थी। चंद्रयान-2 का आर्बिटर आज भी क्रियाशील है। उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट तय की थी। 

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