Comments

6/recent/ticker-posts

Durga Saptashati: ऋषि मार्कण्डेय रचित दुर्गा सप्तशती भी कहती है अधर्म पर धर्म के विजय की गाथा

Durga Saptashati: ऋषि मार्कण्डेय रचित दुर्गा सप्तशती भी कहती है अधर्म पर धर्म के विजय की गाथा

shardiya-navratri-durga-saptashati

धर्म डेस्क। देवी के नौ रूपों की आराधना और पूजा ही नवरात्रि का उद्देश्य है। दुर्गा सप्तशती की रचना ऋषि मार्कंडेय ने की है। यह मार्कण्डेय पुराण का ही एक हिस्सा है, जो शक्ति स्वरूपा देवी को समर्पित है। दुर्गा सप्तशती में जो भी लिखा गया है वह ऋषि मार्कंडेय और जैमिनी के बीच का संवाद है। यह अधर्म पर धर्म के विजय की गौरव गाथा भी है। 

शिव की आराधना से मार्कण्डेय ऋषि को मिला था दीर्घायु का आशीर्वाद

पौराणिक कथानक के अनुसार ऋषि मृकण्ड के पुत्र मार्कण्डेय की आयु 12 वर्ष ही थी। यानी वह अल्पायु थे। इस पर ऋषि दंपती को बड़ी चिंता हुई। वह इसका उपाय सोचने लगे। तब उन्होंने बालक मार्कंडेय से कहा कि काल को रोकने की शक्ति केवल भगवान शिव के पास है। यदि वह उनकी आराधना करें तो दीर्घायु का आशीष मिलेगा। ऋषि मार्कंडेय बचपन में ही ऋग्वेद के महामृत्युंजय मन्त्र (7.59.12) जो कि यजुर्वेद और अथर्ववेद में भी आता है, उसका जाप करने लगे।

वाराणसी में किया था ऋषि मार्कण्डेय ने शिव का तप

वाराणसी के गंगा-गोमती के संगम पर कैथी में मार्कण्डेय महादेव का सिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि यहीं पर मार्कंडेय ऋषि उपासना करने लगे। शिव की उपासना में लीन मार्कण्डेय ऋषि की आयु जब बारह वर्ष की आयु हुई तो यमदूत उन्हें ले जाने आए। लेकिन, शिव मंदिर से मार्कण्डेय को ले नहीं जा पाए।अंततः यमराज को स्वयं ही आना पड़ा। यमराज ने ऋषि मार्कंडेय को पाश में लपेटा तो भगवान शिव भी उसके घेरे में आ गए। महामृत्युंजय मन्त्र शिव के रूद्र (सबसे उग्र रूपों में से एक) रूप का होता है। यमपाश में बंधे भगवान शिव जब प्रकट हुए तो काल को ऋषि मार्कंडेय को छोड़ना पड़ा।

दुर्गा सप्तशती का महत्व और रोचक तथ्य

  • दुर्गा सप्तशती में कुल सात सौ श्लोक हैं। इसका पता ऐसे चलता है। सप्तशती का संधि विच्छेद करें तो दो शब्द निकलते हैं। सप्त और शती। सप्त का अर्थ सात और शत का अर्थ है सौ यानी की सात सौ (700) श्लोक। इसलिए यह पूरी रचना दुर्गा सप्तशती के नाम से जानी जाती हैं।
  • दुर्गा सप्तशती के तेरह अध्याय तीन भागों में विभक्त हैं। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती। इसके अनुसार ही दुर्गा सप्तशती में तेरह पाठ हैं।
  • दुर्गा सप्तशती में दुर्गा कवच, अर्गला और कीलक समाहित है। दुर्गा सप्तशती देवी महात्म्य का एक भाग है।
  • देवी दुर्गा के गले में आठ नरमुंड होते हैं। इसका भी धार्मिक महत्व यह है कि यह बुद्धि को जकड़ने वाले आठ पाशों को बताते हैं। यह काम (वासना), क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, लज्जा, भय और घृणा के पाश हैं। इन पाशों को काटकर देवी भक्तों को बंधनों से मुक्त करती हैं। 
  • रक्तबीज वध प्रसंग भी जीवन माया के हावी होने का संदेश छिपा है। इसका अर्थ है कि एक इच्छा, बीज की तरह उतनी ही बलवती कोई दूसरी इच्छा को जन्म देती जाती है। देवी इन सभी को चट कर जाती है।
  • नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष फलदायी होता है। इस पवित्र ग्रंथ को पढ़ने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। आंतरिक शांति और शक्ति मिलती है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ आरोग्यता, समृद्धि और परिवार में खुशहाली का आशीर्वाद देता है।
  • जीवन में आने वाली विपदाओं और बाधा भी दुर्गा सप्तशती के पाठ से दूर होती है।
  • दुर्गा सप्तशती के पाठ से घर में नकारात्मक ऊर्जा का असर कम होता है।
  • नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित करना चाहिए।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ वर्ष पर्यंत किया जा सकता है। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है।


Post a Comment

0 Comments