Maldives-Lakshadweep Comparison: मालदीव और लक्षद्वीप में कौन बेहतर, जानें विस्तार से
Maldives-Lakshadweep Comparison News: मालदीव में बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटक हर साल जाते हैं। इसकी वजह है कि मालदीव भारतीयों के लिए वीजा फ्री देश है। बस केवल लक्षद्वीप के लिए परमिट की जरूरत होती है।
India-Maldives Controversy: भारत और मालदीव के बीच विवाद की स्थिति बनी हुई है। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरों से हुई। पीएम मोदी की तस्वीरों को लेकर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने आपत्तिजनक टिप्पणी की। जिस पर भारत में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। लोगों ने मालदीव का बायकॉट करना शुरू कर दिया। अब तो यहां तक कहा जाने लगा कि मालदीव के नेताओं की तरफ से की गई टिप्पणी की वजह से वहां के पर्यटन उद्योग को घाटा होना तय है।
पीएम मोदी ने शेयर की थीं तस्वीरें
दरअसल, पीएम मोदी ने जब लक्षद्वीप की तस्वीरों को शेयर किया, तो सोशल मीडिया पर लोग कहने लगे कि छुट्टी मनाने के लिए मालदीव से ज्यादा बेहतर लक्षद्वीप है। इन्हीं ट्वीट्स का जवाब देते हुए मालदीव के नेताओं ने आपत्तिजनक बयानबाजी कर दी। उनका कहना था कि लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से नहीं की जा सकती है।
1965 में आजाद हुआ था मालदीव
मालदीव एक मलयालम शब्द है, जिसका मतलब दीपों की माला होता है। मालदीव को 1965 में ब्रिटेन से आजादी मिली, जिसके बाद यहां राजशाही की स्थापना हुई। हालांकि, तीन साल बाद 1968 में मालदीव एक गणतंत्र बन गया। अगर इसकी लोकेशन की बात करें, तो ये भारत के दक्षिण-पश्चिम में है। केरल के कोच्चि से मालदीव की दूरी एक हजार किलोमीटर है। मालदीव हिंद महासागर में बसा हुआ काफी छोटा देश है।
पांच लाख के करीब है आबादी
मालदीव 1200 द्वीपों का एक समूह है, जिसका क्षेत्रफल 300 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसकी आबादी 5 लाख के करीब है। मालदीव के ऊपर हमेशा जलवायु परिवर्तन का खतरा रहता है। देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। जीडीपी का एक चौथाई यहीं से आता है। मालदीव में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।
मालदीव में घूमने वाली जगहें
भारत से मालदीव की फ्लाइट कनेक्टिविटी काफी अच्छी है। लगभग सभी प्रमुख शहरों से मालदीव पहुंचा जा सकता है। भारतीयों के लिए मालदीव वीजा फ्री है। यही वजह है कि पिछले साल दो लाख से ज्यादा भारतीय मालदीव घूमने गए। सन आईलैंड, ग्लोइंग बीच, फिहालहोही आईलैंड, माले सिटी, माफुशि, आर्टिफिशियल बीच, मामीगिली जैसी जगहें पर्यटकों को काफी लुभाती हैं। यहां थ्री स्टार होटल की एक दिन की कीमत 5 हजार रुपये से शुरू होती है।
लक्षद्वीप का क्या है इतिहास-भूगोल
भारत के 8 केंद्रशासित प्रदेशों में से एक लक्षद्वीप है। केरल के कोच्चि शहर से इसकी दूरी 440 किलोमीटर है। मालदीव से इसकी दूरी 700 किलोमीटर है। लक्षद्वीप में 36 द्वीप हैं। इसका कुल क्षेत्रफल महज 32 किलोमीटर है। ये मालदीव के मुकाबले 10 गुना ज्यादा छोटा है। केंद्रशासित प्रदेश की कुल आबादी 60 हजार से ज्यादा है और यहां 96 फीसदी लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं। 36 में सिर्फ 10 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं। बाकी के द्वीपों पर रहने वाला कोई नहीं है।
पिछले साल 25 हजार से अधिक पर्यटक आए
कवाराट्टी, अगाट्टी, अमिनी, कदमत, किलातन, चेतलाट, बिट्रा, आनदोह, कल्पनी और मिनिकॉय उन द्वीपों में शामिल हैं, जहां लोग रह रहे हैं। लक्षद्वीप में लोग मलयालम भाषा बोलते हैं। केंद्रशासित प्रदेश की कमाई का जरिया मछली पकड़ना और नारियल की खेती है। हालांकि, हाल के सालों में यहां पर्यटन उद्योग में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। बताया जाता है कि पिछले साल यहां पर 25 हजार लोग घूमने के लिए पहुंचे।
अगाटी में हवाई पट्टी
हवाई मार्ग से लक्षद्वीप जाने के लिए सिर्फ एक हवाई पट्टी है, जो अगाट्टी में है। इसकी कनेक्टिविटी कोच्चि से है। लक्षद्वीप के बाकी के द्वीपों पर जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। भारतीयों के लिए कहीं न कहीं लक्षद्वीप जाना थोड़ा मुश्किल है। सबसे पहले लोगों को कोच्चि जाना होता है। इसके बाद ही लक्षद्वीप का सफर किया जा सकता है।
लक्षद्वीप में घूमने वाली जगहें
लक्षद्वीप जाने के लिए लोगों को प्रशासन के जरिए परमिट हासिल करना होता है। यहां के कई ऐसे द्वीप हैं, जहां लोगों के जाने की मनाही है। इसके लिए आपको सरकार से परमिट लेना पड़ेगा। ज्यादातर वक्त यहां तापमान 22 से 36 डिग्री रहता है। कवाराट्टी आईलैंड, लाइट हाउस, जेटी साइट, मस्जिद, अगाट्टी, कदमत, बंगारम, थिन्नाकारा उन जगहों में शुमार हैं, जहां लोग घूमने जाते हैं। दिसंबर से फरवरी का महीना यहां पर्यटकों से भरा हुआ रहता है।
पीएम मोदी ने की लक्षद्वीप आने की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप यात्रा के दौरान कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लोगों से वहां जाने की अपील की। इसके तुरंत बाद टूरिस्ट देश मालदीव के कुछ मंत्रियों ने टिप्पणियां कर दीं। तब से ही ट्वि्टर पर युद्ध छिड़ा हुआ है। हालात इतने बिगड़े कि मालदीव सरकार को उन मंत्रियों को सस्पेंड करना पड़ा। असल में मालदीव में सबसे ज्यादा सैलानी भारत से ही जाते हैं।
मालदीव के लिए जरूरी है भारत
भारतीयों का गुस्सा बना रहा तो इस देश की इकनॉमी गड़बड़ा जाएगी। बता दें कि सालाना दो लाख से ज्यादा भारतीय इस द्वीप देश को जाते हैं। साल 2020 में मालदीव में 63 हजार भारतीय सैलानी गए थे, तो 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर दो लाख 93 हजार हो गया। साल 2022 में 2 लाख 41 हजार, और 2023 में तक 1 लाख 93 हजार सैलानी वहां जा चुके हैं। हालांकि मालदीव के मंत्रियों के विवादित बयान के बाद से लोग लिख रहे हैं कि वे इस देश में नहीं जाना चाहेंगे।
इजरायल ने लक्षद्वीप के विकास में दिखाई दिलचस्पी
इस बीच इजरायल भी जंग में कूदते हुए एक बड़ा एलान कर दिया। भारत में इजरायली दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें कहा गया कि लक्षद्वीप को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए वो तैयार है। इसके लिए वो सालभर पहले भी लक्षद्वीप विजिट कर चुका है। यानी लक्षद्वीप की तस्वीरें भले ही अभी आई हों, लेकिन इसे दुनिया के बेहतरीन द्वीप के तौर पर स्थापित करने की सेंटर की कोशिशें पहले से चल रही होंगी।
लगेंगे पानी के प्लांट
भारत का दोस्त माना जाने वाला इजरायल तकनीकी मामलों में काफी आगे है। वो लक्षद्वीप में डीसेलिनेशन प्रोसेस से खारे पानी की अशुद्धियां दूर कर उसे साफ पानी में बदलेगा। इससे वहां साफ और मीठे पानी की समस्या पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, जो किसी भी टूरिस्ट स्पॉट के लिए बहुत जरूरी है। पीएम मोदी ने साल 2017 में इजरायल दौरे के दौरान वहां बेहद मॉर्डन तकनीक देखी थी। इसके बाद लक्षद्वीप और अंडमान के लिए भी इस प्रोसेस पर बात की गई।
आखिर इजरायल ही क्यों
ये एक ऐसा देश है, जिसका बड़ा हिस्सा रेगिस्तानी रहा। सूखे की मार झेलते इजरायल ने कुछ सालों पहले एक अनोखी तकनीक निकाली। वो समुद्र के खारे पानी को डीसेलिनेशन के जरिए मीठा बनाने लगा। यहां पांच बड़े प्लांट हैं, जो इजरायल के कोने-कोने तक पहुंच रहे 50 प्रतिशत से ज्यादा पानी को इसी के जरिए साफ करते हैं। अब स्थिति इतनी सुधर चुकी कि इजरायल अपनी जरूरत से 20 फीसदी ज्यादा पानी बना रहा है, जिसकी सप्लाई सूखे से जूझते पड़ोसी देशों, जैसे जॉर्डन को भी हो रही है।
मालदीव में पानी कैसे मिलता है
मालदीव पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है इसलिए नब्बे के दशक में ही वहां डीसेलिनेशन प्लांट बनने लगे। हालांकि अब भी इस तकनीक की मदद से टूरिस्टों की ही जरूरत पूरी होती है। बहुत सा काम बारिश के पानी को जमाकर किया जाता है। इस द्वीप देश में पीने का पानी काफी महंगा भी है। अक्सर रिजॉर्ट की बुकिंग कराते हुए पानी की कीमत भी वसूल ली जाती है, वहीं बहुत से होटल सीमित पानी ही देते हैं। एक्स्ट्रा पानी के लिए ज्यादा कीमत देनी होती है। लक्षद्वीप में साफ पानी के लिए लोग अभी भी ग्राउंड वॉटर पर निर्भर हैं जो सीमित ही होता है। अगर इसे टूरिस्ट आइलैंड की तरह बनाना है तो साफ पानी बड़ी जरूरत है। यही वजह है कि इजरायल इस पर काम करने जा रहा है।
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