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Basti News || भारतीय शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम पुरातन एवं नवीनतम शिक्षा पद्धति का समन्वय || डॉ. एनपी सिंह

Basti News || भारतीय शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम पुरातन एवं नवीनतम शिक्षा पद्धति का समन्वय || डॉ. एनपी सिंह

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Basti News || भारतीय शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम पुरातन एवं नवीनतम शिक्षा पद्धति का समन्वय || डॉ. एनपी सिंह

Basti News || भारतीय शिक्षा बोर्ड भारत में एक स्वदेशी तथा आधुनिक शिक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए प्रख्यात भारतविदों, राजनेताओं, विचारकों और शिक्षाविदों द्वारा दशकों से किए जा रहे निरंतर और निस्वार्थ प्रयासों का परिणाम है। बस्ती जनपद में इसके विस्तार के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक जगदीश प्रसाद शुक्ल के नेतृत्व में जिले के वित्तविहीन विद्यालयों की एक बड़ी बैठक का आयोजन राजकीय कन्या इण्टर कालेज बस्ती में आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि मंडलायुक्त अखिलेश सिंह ने दीप प्रज्वलन से किया। इसके पश्चात विद्यालय की बालिकाओं द्वारा सरस्वती वन्दना और स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि अखिलेश सिंह मंडलायुक्त बस्ती ने कहा कि शिक्षा प्रणाली ही किसी देश की संस्कृति के उत्थान का मुख्य स्रोत होती है। आशा है कि इस बोर्ड की शिक्षा पद्धति से भारतीयता के पोषक नागरिक पैदा होंगे। यह शिक्षा पद्धति हमें संस्कृत से भारतीय संस्कृति की ओर ले जाने वाली सिद्ध होगी और श्रेयस और प्रेयस में संतुलन बनाने वाली सिद्ध होगी।

बोर्ड के चेयरमैन डॉ. एनपी सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम पुरातन एवं नवीनतम शिक्षा पद्धति का समन्वय है इससे देश और दुनिया का नेतृत्व करने वाले महात्मा प्राप्त होंगे। स्वामी दयानंद, स्वामी विवेकानंद, श्री अरबिंदो, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी जैसे महान देशभक्तों, विचारकों और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को इस बात की चिंता थी कि मैकाले की विरासत पर आधारित शिक्षा प्रणाली में पली-बढ़ी भारतीय पीढ़ियाँ भारत की समृद्ध संस्कृति और ज्ञान प्रणालियों की गौरवशाली प्राचीन विरासत से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।

भारत के बच्चे स्कूली किताबें पढ़कर बड़े हुए हैं, जो एक ओर तो सदियों से बौद्धिक रूप से श्रेष्ठ राष्ट्रों के अधीन रहे एक कमज़ोर, नैतिक और बौद्धिक रूप से पिछड़े राष्ट्र की कहानी कहती हैं, और दूसरी ओर यूरोपीय वैज्ञानिकों, विचारकों और शिक्षाविदों के ज्ञान का गुणगान और प्रचार करती हैं, जबकि प्राचीन भारत के गौरवशाली बौद्धिक खजाने पर मौन रहती हैं। इसी औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त, युवा पीढ़ी में अपने पूर्वजों और राष्ट्र के प्रति कोई गौरव या सम्मान नहीं है। वे पश्चिमी प्रतीकों को अपनी प्रेरणा मानते हैं और उनकी जीवनशैली और आदतों की नकल करते हैं।

भारतीय शिक्षा बोर्ड उन लाखों भारतीयों की आकांक्षाओं को समाहित करता है जो उन गंभीर ऐतिहासिक गलतियों को सुधारना चाहते हैं जिनके कारण पश्चिमी विचारक, गणितज्ञ, वैज्ञानिक और साहित्यकार प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणालियों को गुप्त रूप से अपना रहे हैं और भारत को विश्व की अधिकांश ज्ञान प्रणालियों के अग्रणी के रूप में उसके गौरवपूर्ण स्थान और उचित श्रेय से वंचित कर रहे हैं। यह अत्यंत आवश्यक है कि एक राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के माध्यम से, 21वीं सदी के भारतीय बच्चों को वेद और उपनिषद, प्राचीन ज्ञान के विशाल भंडार, ताकि वे अपने महान राष्ट्र भारत पर गर्व कर सकें, जो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता का ध्वजवाहक है, जिसका उद्भव पांच हजार वर्ष से भी पहले सरस्वती नदी के तट पर हुआ था।

बोधायन, भारद्वाज, लगध, धन्वंतरि, सुश्रुत, चरक, कणाद, कौटिल्य, आर्यभट्ट, वराहमिहिर आदि ऋषियों और विद्वानों ने प्राकृतिक घटनाओं पर आधारित अवलोकन, अनुसंधान और गणनाओं के माध्यम से गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, खगोल विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान और वैमानिकी की हमारी स्वदेशी प्रणालियों का विकास किया। आगे कहा कि उपनिषदों के ऋषियों और परवर्ती आचार्यों ने सुख के स्रोत की खोज की, जिसके परिणामस्वरूप वैदिक दर्शन आत्मसाक्षात्कार या आत्म-साक्षात्कार का जन्म हुआ। सांसारिक अभ्युदय-जन्य या धर्म-अर्थ-काम-जन्य और पारलौकिक सुख की प्राप्ति भारतीय ज्ञान परंपरा में शिक्षा का एक अभिन्न अंग रही है। बोर्ड के सचिव राजेश प्रताप सिंह ने कहा कि हमें वेदवाणी संस्कृत सीखना चाहिए जो सभी भाषाओं की जननी है और जिसे पश्चिमी देशों द्वारा विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। उन्होंने उपस्थित विद्यालय के प्रबंधकों से भारतीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेने का सुझाव दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षिका मानवी सिंह ने भारतीय शिक्षा बोर्ड के महत्व पर प्रकाश डाला। अतिथियों का परिचय बोर्ड के गोरखपुर, बस्ती एव आजमगढ़ मण्डल के समन्वयक उपेन्द्र प्रसाद द्विवेदी ने कराया। अंत में जिला विद्यालय निरीक्षक जगदीश प्रसाद शुक्ल ने कहा कि इस बोर्ड को हर विद्यालय का बोर्ड बनाने के लिए प्रयास किया जाएगा। इस अवसर पर जिला विद्यालय निरीक्षक जगदीश प्रसाद शुक्ल और ओम प्रकाश आर्य जिला प्रभारी भारत स्वाभिमान समिति बस्ती ने अतिथियों का अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से बेसिक शिक्षा अधिकारी, उपेन्द्र द्विवेदी समन्वयक भारतीय शिक्षा बोर्ड पूर्वी उत्तर प्रदेश, डॉ वीरेन्द्र त्रिपाठी जिला समन्वयक भारतीय शिक्षा बोर्ड बस्ती यूनिट बस्ती, डॉ नवीन सिंह संरक्षक पतंजलि योग समिति, आदित्यनारायण गिरि, गरुण ध्वज पाण्डेय, जे पी तिवारी, जे पी चौबे, अनूप मिश्र, बिजेंद्र मिश्र, सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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