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लक्ष्मण को मूर्छा से बाहर लाने में केवल संजीवनी ही नहीं तीन अलग जड़ी बूटियों का हुआ था प्रयोग : कर्नल केसी मिश्रा (रि.)

लक्ष्मण को मूर्छा से बाहर लाने में केवल संजीवनी ही नहीं तीन अलग जड़ी बूटियों का हुआ था प्रयोग : कर्नल केसी मिश्रा (रि.)

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लक्ष्मण की मूर्छा से बाहर लाने में केवल संजीवनी ही नहीं तीन अलग जड़ी बूटियों का हुआ था प्रयोग : कर्नल केसी मिश्रा (रि.)

Basti News || क्या आप जानते हैं कि राम रावण युद्ध के दौरान भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण को जब शक्ति बाण लगा था। तब वह मूर्छा से कैसे बाहर आए थे। अब तक आप जानते होंगे कि इसके लिए रावण के वैद्य सुखेन ने संजीवनी बूटी से उनका उपचार किया था। लेकिन इस विषय पर कर्नल केसी मिश्रा (रि.) और भी गहन और ऐतिहासिक जानकारी देते हैं। सोमवार को पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिन जड़ी बूटी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश चैप्टर के पूर्वी जोन के अध्यक्ष व प्रख्यात योग एवं एक्यूप्रेशर चिकित्सक डॉ. नवीन सिंह ने मुलाकात की। इसी दौरान कर्नल केसी मिश्रा ने संजीवनी बूटी में विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी), विषकर्णी और संजीवनी बूटी के प्रयोग का जिक्र करते हुए बताया कि लक्ष्मण के उपचार में इन तीनों जड़ी बूटी का प्रयोग सुखेन वैद्य ने किया था।

इस मौके पर कर्नल केसी मिश्रा ने डॉ नवीन सिंह को विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी) का पौधा भी भेंट किया। कहा कि आचार्य बालकृष्ण की ओर योग और आयुर्वेद को देश और दुनिया में लोकप्रिय बनाने में ऐतिहासिक योगदान दिया जा रहा है। हम उनके शतायु होने की कामना करते हैं। और इस को प्रचारित और प्रसारित करने के लिए पतंजलि योगपीठ तथा भारत स्वाभिमान के सहयोगियों के साथ डॉ नवीन का विशेष आभार व्यक्त करते हैं। साथ ही अन्य सहयोगियों से उम्मीद करते हैं कि प्रचारित और प्रसारित करते हुए आयुर्वेद और जड़ी बूटियों के महत्व को जन जन तक पहुंचाने का कार्य निरंतर करते रहें। 

यह हैं संजीवनी बूटी के साथ इस्तेमाल हुई तीन जड़ी बूटियां

संजीवनी बूटी में विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी) पौधे का महत्व बताते हुए कर्नल केसी मिश्रा बताते हैं कि, लक्ष्मण को जब शक्ति बाण लगा। उसके बाद सुखेन वैद्य को बुलाया गया। वैद्य ने बताया कि लक्ष्मण जी की मूर्छा जिन जड़ी बूटियां से दूर हो सकती है। वह हिमालय पर्वत पर प्राप्त होंगे और संजीवनी बूटी उसका नाम है। हनुमान जी गए और वहां से जब संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए, तो उन्होंने पूरी पहाड़ी ही उखाड़ लाए। इसके बाद जब वह युद्ध स्थल पर पहुंचे तब सुखेन वैद्य ने उसमें से तीन जड़ी बूटियां को निकाला। इसमें से एक है विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी), विषकर्णी और संजीवनी बूटी। इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में किया गया है। कर्नल केसी मिश्रा ने बताया विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी) का पौधा उन्हें भुवनेश्वर से मिला है। जिसकी वह नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर हम रामायण काल को याद करें तो उसमें एक संदर्भ आता है कि लक्ष्मण जी को शक्ति बाण लगा था। उस शक्ति बाण को लेकर हम लोगों ने जो आज तक सुना हुआ है या ज्यादातर लोगों को जानकारी है कि संजीवनी बूटी का उपयोग किया गया था। जिसकी वजह से लक्ष्मण जी की सारी चेतना और मूर्छा वापस आई। लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें तीन तरीके की जड़ी बूटियां का इस्तेमाल किया गया था।

विष को हर लेती है विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी)

कर्नल केसी मिश्रा बताते हैं कि जो पहले जड़ी बूटी का इस्तेमाल किया गया था वह था विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी)। विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी) शरीर के विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर करने के लिए और विषकर्णी विष के वमन के लिए लगाया गया था। जबकि संजीवनी बूटी का प्रयोग लक्ष्मण को मूर्छा से बाहर लाने और पूर्ण रूप से चैतन्य करने में किया गया था। जिसकी वजह से वह अपने आप को समझ सके कि मैं लक्ष्मण हूं लड़ाई के मैदान में था। वहीं, विषकर्णी का जिक्र महाभारत के समय में भी मिलता है। नकुल और सहदेव को ऐसी शक्तियां प्राप्त थी कि शाम के समय पर दिन भर की लड़ाई के बाद में जो लोग भी सैनिक घायल होते थे और शिविर में ले जाते थे। उनको वह जंगल से कुछ जड़ी बूटियां लेकर के उनके ऊपर लेप लगाते थे। सैनिकों के घाव रात भर में भर जाते थे और घाव भरने के बाद उसमें इतनी शक्ति का सृजन होता था कि सवेरे वह फिर लड़ाई पर चले जाते थे।

ओडिशा के जंगलों में मिला विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी) का पौधा

कर्नल केसी मिश्रा बताते हैं कि जिसमें पहला पौधा विशैल्यकर्णी (विशल्यकर्णी) संजोग से मुझे उड़ीसा के पहाड़ियों से मिला है। जिसका कि मैं यहां पर संरक्षण किया है और इसका उपयोग भी हम कर रहे हैं। हालांकि यह कई चीजों के लिए सांप, बिच्छू और ततैया के डंक मारने के लिए बहुत उपयोगी है। अभी तक हमने इसका जो परीक्षण किया है तथा यह हमारे स्टाफ को कई बार मार चुकी है और हर बार मैं इनको लगाने के बाद में और इसका उपयोग किया। तीन से चार मिनट के समय में इलाज कर देती है। अगर सूजन है तो सूजन को कम करती है। जो डंक लगे हुए होते हैं वह शरीर से बाहर निकल जाते हैं और दर्द का एहसास बिल्कुल खत्म हो जाता है। तो इस तरीके से इन सब को समाहित करके यह पौधा अगर हर घर में हो तो बहुत सी चीजों से आदमी को एक संतोष भी मिलता है और एक आत्म शक्ति मिलती है कि मेरे पास ऐसा एक पौधा है। जिसका कभी कुछ अवांछनीय घटित होने के बाद में उपयोग किया जाता है।

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