एसएनसीयू में इलाज से सेहतमंद हुए 1079 बीमार शिशु
- जिला महिला अस्पताल में उपलब्ध है एसएनसीयू सेवा
- गम्भीर तौर पर बीमार शिशुओं को एसएनसीयू में कराया जाता है भर्ती
बस्ती। सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) सेवा गम्भीर नवजात व शिशु के लिए वरदान साबित हो रही है। इस यूनिट में प्रसव के बाद विभिन्न गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित बच्चों का इलाज कर उनकी जान बचाई जा रही है। जनपद में जिला महिला अस्सपताल में संचालित एसएनसीयू में पिछले एक वर्ष में 1079 गम्भीर तौर पर बीमार नवजात को नया जीवन मिला है।
एसीएमओ आरसीएच डॉ. एके मिश्रा का कहना है कि प्रसव उपरांत इलाज के प्रबंध की सेवाओं को मजबूत बना कर व इसके इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रेरित कर शिशु व नवजात मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे के वर्ष 2020 के आंकड़ों के अनुसार शून्य से 28 दिन तक के नवजात की मृत्यु दर 28 व शून्य से एक वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर 38 है, जो भारत सरकार के सूचकांक से ज्यादा है। जन्म के समय बच्चे का सही प्रबंधन करते हुए गम्भीर मरीजों को समय रहते एसएनसीयू तक पहुंचाकर इन आंकड़ों को न्यूनतम किया जा सकता है। प्रदेश सरकार व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक नवजात मृत्यु दर 12 प्रति हजार कर दिया जाए। इसके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही इनके उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करना जरूरी है।
नवजात में खतरे के लक्षण दिखने पर तुरंत 102/108 पर फोन कर उसे एम्बुलेंस से नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाएं।
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एसएनसीयू में उपलब्ध सुविधाएं-
- बालरोग विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षित नर्स द्वारा उपचार
- पीलिया से पीड़ित नवजात के लिए फोटोथेरेपी
- नवजात के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखने के लिए रेडिएंट वार्मर
- कंगारू मदर केयर की सुविधा
- शरीर के तापमान एवं सांस की गति की मशीनों द्वारा सतत निगरानी
- सांस लेने में कठिनाई होने पर ऑक्सीजन की सुविधा
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एक वर्ष तक मिलती हैं यह सुविधाएं
एसीएमओ आरसीएच ने बताया कि एक वर्ष तक के नवजात को सरकारी अस्पताल में उपचार, दवा व सभी प्रकार की जांच की सुविधा दी जाती हैं । जरूरत पड़ने पर उसे खून भी उपलब्ध कराया जाएगा। एम्बुलेंस सेवा 102 मरीज को घर से अस्पताल व रेफर होने पर दूसरे अस्पताल तक पहुंचाएगी। ठीक होने पर अस्पताल से घर तक एम्बुलेंस से ही वापस पहुंचाया जाएगा।
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नवजात की घर पर ऐसे करें देखभाल
- जन्म के तुरंत बाद से नवजात को मां के सीने से लगाकर रखें।
- जन्म से लेकर छह माह तक केवल मां का दूध पिलाएं। कोई भी अन्य पदार्थ जैसे ऊपर का दूध, शहद, घुट्टी, पानी, चाय इत्यादि कुछ न दें।
- जन्म के बाद एक सप्ताह तक नवजात को नहलाएं मत। सूखे व मुलायम कपड़े से सफाई करें।
- नाभि नाल को सूखा रखें, तेल, पाउडर, राख, हल्दी आदि कुछ भी न लगाएं।
- नवजात को छूने से पहले हाथों को साबुन पानी से अवश्य धोएं।
- नवजात का वजन समय-समय पर कराते रहें, जिससे उसके विकास की जानकारी मिलती रहे।
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यह समस्या होने पर एसएनसीयू ले जाएं
- शिशु धीमी आवाज में रोये या सांस लेने में कठिनाई हो रही हो।
- शिशु को छूने पर शरीर ठंडा या गर्म महसूस हो।
- जन्म के समय शिशु का वजन 1800 ग्राम से कम हो।
- जन्म के पहले दिन या 14 दिन के बाद भी शिशु की आंख एवं त्वचा का रंग पीला दिखाई दे।
- शिशु स्तनपान न कर पा रहा हो या वह उल्टी कर देता हो।
- त्वचा पर मवाद भरी 10 या अधिक फुंसिया या एक बड़ा फोड़ा दिखाई दे।
- शिशु के शरीर में ऐंठन हो रही हो, दौरा पड़ रहा हो या उसके अंग सुस्त और निष्क्रिय हो।
- शिशु की सांस सामान्य से तेज चलती महसूस हो या सांस लेते समय छाती धंसती हो।
- शिशु में जन्मजात असामान्यता जैसे मुड़े हुए हाथ-पैर, सिर पर गांठ, और कटा होंठ दिखाई दे।
- नांक, मुंह या मलद्वार से खून बह रहा हो।
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