यूरिया के स्थान पर इफ्को नैनो यूरिया व डीएपी के स्थान पर नैनो डीएपी का प्रयोग करने से मृदा व पर्यावरण दोनों की सुरक्षा होती है।
बस्ती। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के विकास खंड सल्टौआ के सभागार में नैनो यूरिया व नैनो डीएपी तरल आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया। किसानों को इफको नैनो खाद का महत्व व प्रयोग करने के तरीके बताए गए।
कार्यशाला में इफ्को के क्षेत्र प्रबंधक जियाउद्दीन सिद्दीकी ने पर्यावरण हितैषी नैनो यूरिया व नैनो डीएपी खाद के प्रयोग करने की विधि, मात्रा व सावधानियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किसानों को नैनो यूरिया 4 एमएल प्रति लीटर की दर से 35 से 40 दिन की फसल में छिड़काव करने का सुझाव दिया। नैनो डीएपी का बीज शोधन 5 एमएल प्रति किलो ग्राम बीज की दर व जड़ शोधन 5 एमएल प्रति लीटर पानी में करने को कहा। बताया कि यूरिया के स्थान पर इफ्को नैनो यूरिया व डीएपी के स्थान पर नैनो डीएपी का प्रयोग करने से मृदा व पर्यावरण दोनों की सुरक्षा होती है। मयंक शुक्ल ने जैव उर्वरक एनपीके कंसोर्टीया के लाभ व उपयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दिया।
मुख्य अतिथि बीडीओ अनिल कुमार यादव ने किसानों को नैनो उर्वरकों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि सरकार की नीति के तहत आत्मनिर्भर भारत व आत्मनिर्भर कृषि उसी वक्त आ सकती है जब किसानों को कम लागत लगाकर अच्छी गुणवत्ता युक्त अधिक पैदावार प्राप्त हो। एडीओ नीरज कन्नौजिया ने आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यशाला के अंत में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के तहत इफ्को ने 10 किसानों के बीच निःशुल्क नैनो यूरिया का वितरण किया।
इस मौके पर एडीओ मृत्युंजय सिंह के अलावा अधिकांश सचिव समेत बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।
इसे भी पढ़ें...
👉Raksha Bandhan 2023: जानिए तारीख, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, भद्रा काल व कहानी
👉Ganesh Chaturthi 2023 Date: जानें कब विराजेंगे गणेश, गूंजेगा गणपति बप्पा मोरया
👉Hair Fall Treatment: झड़ रहे हैं बाल तो कद्दू के बीज का इस तरह करें इस्तेमाल, होगी अच्छी ग्रोथ
0 Comments