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Bollywood: एक सौ छह साल पहले बनी थी पहली हिंदी डबल रोल वाली फिल्म, इस अभिनेता ने निभाया था हीरो और हीरोइन का किरदार

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एंटरटेनमेंट डेस्क। बॉलीवुड की सतरंगी दुनिया रुपहले पर्दे पर जितनी रंगीन नजर आती है, उससे कहीं ज्यादा रोचक पर्दे के पीछे की कहानियां होती हैं। आज हम बात करेंगे, हिंदी सिनेमा जगत की पहली डबल रोल वाली फिल्म के बारे में। हिंदी सिनेमा जगत की पहली डबल रोल वाली फिल्म का निर्माण आज से करीब 106 साल पहले हुआ था। यह प्रयोग तब हुआ था, जब आज की तरह न तो तकनीकी इतनी विकसित थी और न ही आज की तरह रुपये की बारिश ही होती थी। लेकिन, कहते हैं न कि जोश और जुनून के साथ अगर कुछ भी किया जाए तो निश्चित तौर पर वह मील का पत्थर साबित हो ही जाता है।

1917 में बनी लंका दहन में पहली हुआ था डबल रोल का प्रयोग

बॉलीवुड में डबल रोल वाली फिल्मों को दर्शकों ने तकरीबन हर बार पसंद किया है। बॉलीवुड का इतिहास देखें तो कई कलाकारों ने डबल रोल की भूमिका निभाई है। जिनमें से अधिकांश फिल्में सफल रहीं। हालांकि कुछ फिल्में असफल भी रहीं। लेकिन, डबल रोल वाली फिल्मों के निर्माण का दौर थमा नहीं। आज से 106 साल पहले 1917 में पहली डबल रोल वाली फिल्म बनी थी जिसका नाम था 'लंका दहन'।

रामायण के सुंदर कांड पर बनी फ़िल्म

रामायण के सुंदर कांड पर आधारित धुंधीराज गोविंद फाल्के यानी दादा साहेब फाल्के की इस फिल्म में अन्ना सालुंके ने मुख्य किरदार निभाया था। अन्ना सांलुके ने इस फिल्म में 'राम और सीता' दोनों के किरदार निभाए। किसी भारतीय फिल्म में डबल रोल की शुरुआत करने वाले सालुंके पहले भारतीय कलाकार थे। उस समय यह फिल्म फ्लॉप हो गई थी।

कैसे बनती हैं डबल रोल वाली फिल्में, क्या होती है तकनीकी

फिल्मों में अभिनेता का डबल रोल एक ऐसा तकनीकी चमत्कार है। जो दर्शकों को अक्सर अचंभित कर देता है। एक ही अभिनेता दो अलग-अलग किरदार निभाते हुए दिखाई देता है, जो दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या यह वास्तव में वही अभिनेता है या कोई और।

डबल रोल को फिल्माने के लिए कई तकनीकों का होता है उपयोग

डबल शॉटिंग: इस तकनीक में, अभिनेता को एक ही सीन को दो बार फिल्माया जाता है, एक बार प्रत्येक किरदार के लिए। इस तकनीक का उपयोग तब किया जाता है जब दोनों किरदार एक ही समय में एक ही स्थान पर हों।

टू-शॉट शॉटिंग: इस तकनीक में, अभिनेता को दो अलग-अलग समय में दो अलग-अलग स्थानों पर फिल्माया जाता है। इस तकनीक का उपयोग तब किया जाता है जब दोनों किरदार एक ही समय में एक ही स्थान पर नहीं हों।

स्पेशल इफेक्ट्स: इस तकनीक में, कंप्यूटर ग्राफिक्स का उपयोग करके एक ही अभिनेता को दो अलग-अलग किरदार में बदल दिया जाता है। इस तकनीक का उपयोग तब किया जाता है जब दोनों किरदार एक ही समय में एक ही स्थान पर हों और उनके बीच कोई शारीरिक अंतर हो, जैसे कि ऊंचाई या उम्र।

डबल रोल फिल्मों से जुड़े रोचक पहलू

अभिनेता की प्रतिभा: डबल रोल को फिल्माने के लिए अभिनेता की अत्यधिक प्रतिभा की आवश्यकता होती है। अभिनेता को दोनों किरदारों के बीच शारीरिक और भावनात्मक अंतर को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना होता है।

निर्देशक की कला: डबल रोल को फिल्माने के लिए निर्देशक की कला भी महत्वपूर्ण होती है। निर्देशक को अभिनेता को दोनों किरदारों को बेहतर ढंग से निभाने में मदद करनी होती है।

दर्शकों का आश्चर्य: डबल रोल दर्शकों को आश्चर्यचकित करने और उन्हें मनोरंजन करने का एक शानदार तरीका है। एक ही अभिनेता दो अलग-अलग किरदार निभाते हुए देखकर दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या यह वास्तव में वही अभिनेता है या कोई और।

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