Cibil Score and financial management: लोन लेना है तो सिबिल स्कोर का जिन्न बोतल से बाहर आ ही जाता है। क्योंकि वर्तमान समय में सिबिल स्कोर अच्छा हो तो लोन आसान शर्तों पर भी मिल जाता है। ऐसे में जब आपको यह पता चलेगा कि शादी के बाद आपके पार्टनर की वित्तीय सेहत का असर आप भी पड़ सकता है। अगर किसी एक का भी सिबिल स्कोर खराब है तो उसका असर दूसरे के फाइनेंस हेल्थ पर पड़ सकता है। ऐसे में वित्तीय मामलों की जानकारी रखने वाले लोगों की सलाह है कि शादी के बाद पार्टनर के साथ फाइनेंशियल जानकारियां साझा करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखें। जिससे आपकी या आपके पार्टनर का सिबिल स्कोर खराब न हो।
क्यों सिबिल स्कोर के साथ जुड़ा शादी का संबंध
एक सर्वे के अनुसार देश हर लाखों शादियां होती हैं। इस साल के बारे में कहा गया है कि देश भर में तकरीबन पांच लाख शादियां होंगी। दरअसल, शादी के बाद लोन के लिए दोनों का ही क्रेडिट स्कोर एक साथ देखा जाता है। ऐसे में शादी के उपरांत फाइनेंशियल मैनेजमेंट financial management पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। वजह यह कि शादी के बाद दो लोगों की पर्सनल और फाइनेंशियल लाइफ एक दूसरे से जुड़ जाती है। एक पार्टनर की क्रेडिट हिस्ट्री का असर दूसरे पर पड़ने लगता है। क्रेडिट स्कोर को ही सिबिल स्कोर भी कहा जाता है।
पांच बातों का रखें ध्यान, होगी समझदारी
फेरों के बाद दंपती एक दूसरे से अपनी बैंकिंग डिटेल, क्रेडिट कार्ड से लेकर अन्य कई फाइनेंशियल जानकारियां आपस में शेयर करते हैं। कोई भी गलती होने पर दोनों का सिबिल स्कोर खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। हालांकि, इसका सीधा असर तो नहीं पड़ता। मगर अन्य दूसरे तरीकों से क्रेडिट स्कोर खराब हो जा सकता है। ऐसे में शादी के नीचे बताई गई चार बातों का विशेष ध्यान रखें।
संयुक्त बैंक खाता (joint bank account): शादी के बाद दंपती अक्सर ज्वाइंट खाता रखते हैं। ऐसे में लोन के लिए आवेदन करने पर दोनों का क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल स्कोर चेक होता है।दोनों पार्टनर में से किसी एक ने भी फाइनेंशियली कोई भी गलती की गई है, तो दोनों के सिबिल स्कोर पर इसका असर पड़ेगा। किसी एक पार्टनर ने भी लोन का लेट पेमेंट किया है या अथवा कोई डिफॉल्ट किया गया है, तो भी इसका असर दूसरे पार्टनर पर पड़ेगा।
क्रेडिट कार्ड में यूजर के रूप में जोड़ा (Added as user on credit card): अक्सर लोग शादी के बाद अगर अपने जीवनसाथी का नाम क्रेडिट कार्ड यूजर के तौर पर जोड़ देते हैं। ऐसे में अगर पार्टनर का सिबिल खराब है तो इसका असर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी दिखने लगेगा। ऐसे में अगर एक पार्टनर की क्रेडिट हिस्ट्री खराब है तो उसका असर दूसरे पर भी पड़ सकता है।
एक दूसरे की क्रेडिट हिस्ट्री (each other's credit history): संयुक्त यानी ज्वाइंट खाता खोले जाने के दौरान पति-पत्नी दोनों की क्रेडिट हिस्ट्री चेक की जाती है। ऐसे में से अगर किसी ने कभी भी क्रेडिट कार्ड या लोन के भुगतान में देरी की है। या फिर दोनों में से किसी की ईएमआई बाउंस हुई या डिफॉल्ट किया गया है तो इसका असर क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ेगा। वहीं, अगर पार्टनर का क्रेडिट स्कोर मजबूत है तो यह आप पर पॉजिटिव असर डालेगा।
बेस्ट फाइनेंशियल मैनेजमेंट (Best Financial Management): शाद के बाद फाइनेंसियल रेस्पॉन्सिबिलिटीज पर दोनों को खुलकर बात करनी चाहिए। जिससे फाइनेंशियल डिसीजंस लेते समय कोई चूक न हो। दोनों मिलकर हर तरह जांच परख कर अपने फाइनेंस को मैनेज करें। क्योंकि इसका भी प्रभाव क्रेडिट स्कोर पर दिखता है। मसलन, आपका पार्टनर यदि समय पर बिल, ईएमआई भरता है तो इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर पॉजिटिव असर पड़ेगा।
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