कॉमन योगा प्रोटोकॉल क्या है || Common Yoga Protocol के 20 योगासनों के बारे में जानें
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज में आयोजित योग संगम में अवश्य पहुंचे और योग करें। अगर किसी कारणवश आप योग दिवस के आयोजन में नहीं शामिल हो पा रहे हैं तो घर पर ही योग प्रोटोकॉल के तहत योगाभ्यास करें।
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कॉमन योगा प्रोटोकॉल क्या है || Common Yoga Protocol के 20 योगासनों के बारे में जानें |
Common Yoga Protocol 2025 || अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक जिले में जोर शोर से तैयारी चल रही है। इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश चैप्टर के उत्तर प्रदेश के पूर्वी जोन के अध्यक्ष डॉ. नवीन सिंह व योग गुरु गरुण ध्वज पांडेय ने सभी से अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज में आयोजित योग संगम में अवश्य पहुंचे और योग करें। अगर किसी कारणवश आप योग दिवस के आयोजन में नहीं शामिल हो पा रहे हैं तो घर पर ही योग प्रोटोकॉल के तहत योगाभ्यास करें।
क्या है कॉमन योग प्रोटोकॉल
कॉमन योग प्रोटोकॉल (CYP) भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा विकसित एक मानकीकृत योग अभ्यास है। इसका उद्देश्य लोगों को एक समान और सरल योग अभ्यास से जोड़ना है, जिसे कोई भी व्यक्ति, किसी भी उम्र में, कहीं भी कर सकता है।
यह प्रोटोकॉल विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के लिए तैयार किया गया है, लेकिन इसे दैनिक स्वास्थ्य के लिए भी अपनाया जा सकता है।
Common Yoga Protocol के प्रमुख भाग
1. प्रार्थना (Prayer) – 1 मिनट
संगच्छध्वं संवदध्वं
सं वो मनांसि जानताम्
देवा भागं यथा पूर्वे
संजाना उपासते ।।
यह एक संस्कृत मंत्र है जिसका अर्थ है "हम सब साथ चलें, साथ बोलें, और हमारे मन एक हों", जैसे प्राचीन देवता एक साथ रहते थे और अपने भाग्य को समान रूप से साझा करते थे। यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है और एकता, सद्भाव, और साझा उद्देश्य पर जोर देता है।
शांति पाठ या “ओम्” का उच्चारण
मानसिक एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए
2. वार्म-अप (Warming-up / Loosening Practices) – 4 मिनट
- गर्दन, कंधे, कमर और घुटनों की हल्की क्रियाएँ
- जैसे गर्दन घुमाना, कंधा घुमाना, कमर घुमाना आदि
3. योगासनों का अभ्यास – 25 मिनट
योग के मुख्य आसन, जैसे:
ताड़ासन: यह आसन शरीर को सीधा करने, रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने और लंबाई बढ़ाने में मदद करता है।
वृक्षासन: यह शरीर के संतुलन और स्थिरता को बढ़ाता है, पैरों और मुख्य मांसपेशियों को मजबूत करता है।
पाद हस्तासन: यह आसन शरीर के विभिन्न हिस्सों में लचीलापन बढ़ाता है, पाचन को बेहतर बनाता है।
अर्ध चक्रासन: रीढ़ को लचीला बनाता है, मेरु तंत्रिकाओं को मजबूत करता है और सांस लेने की क्षमता में सुधार करता है।
त्रिकोणासन: यह आसन पैरों, घुटनों, टांगों, छाती और हाथों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
भद्रासन: यह आसन कूल्हों, जांघों और कमर को फैलाता है और खोलता है, जिससे लचीलापन बढ़ता है।
वज्रासन: यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है, रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
अर्ध उष्ट्रासन: पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
उष्ट्रासन: सिर और हृदय क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है।फेफड़ों को स्वस्थ रखता है।
शशकासन: शशकासन नियमित रूप से करने से नींद की समस्याओं को दूर किया जा सकता है और अच्छी नींद आती है।
उत्तान मंडूकासन: यह आसन पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
वक्रासन: यह आसन पीठ दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
मकरासन: मकरासन शरीर की थकावट और शरीर के दर्द को दूर करने में मदद करता है।
भुजंगासन: भुजंगासन पेट के अंगों को उत्तेजित करता है, जिससे पाचन में सुधार होता है और कब्ज जैसी समस्याएं कम होती हैं।
शलभासन: यह आसन शरीर में चर्बी को खत्म करने में मदद करता है।
सेतुबंधासन: फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है, और थायरॉइड को भी ठीक करता है।
उत्तान पादासन: इस आसन के दौरान पेट की चर्बी को कम करने और पेट को अंदर करने में मदद मिलती है।
अर्ध हलासन: इस आसन के दौरान पेट की चर्बी को कम करने और पेट को अंदर करने में मदद मिलती है।
पवन मुक्तासन: यह आसन पेट के अंगों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य और कार्यक्षमता में सुधार होता है।
शवासन: तनाव कम होना, मांसपेशियों का तनाव कम होना, रक्तचाप कम होना, और नींद की समस्या से छुटकारा पाना आदि लाभ मिलने में मदद मिलती है ।
4. क्रिया,प्राणायाम , ध्यान और संकल्प (14 मिनट )
- कपालभाति: यह प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
- नाड़ी शोधन प्राणायाम: एकाग्रता में सुधार, रक्तचाप को नियंत्रित करना, और श्वसन तंत्र को मजबूत बनाना. यह प्राणायाम ऊर्जा को संतुलित करता है और शरीर की विभिन्न प्रणाली को बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है।
- शीतली प्राणायाम: यह प्राणायाम शरीर के तापमान को संतुलित करता है, जिससे गर्मी से संबंधित बेचैनी और घबराहट कम होती है।
- भ्रामरी प्राणायाम: माइग्रेन, सिरदर्द और अनिद्रा से भी राहत दिला सकता है, साथ ही रक्तचाप को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
- ध्यान: ध्यान के कई शारीरिक और मानसिक लाभ हैं, जो तनाव कम करने, ध्यान केंद्रित करने और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
शांति मंत्र (1 मिनट )
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु
मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
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