Tips & Tricks || काम की खबर || घर में लगा लें यह पौधा || इसकी पत्तियों का रस हड्डी ततैया के डंक के दर्द सूजन को पलक झपकते कर देगा छू मंतर
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काम की खबर || घर में लगा लें यह पौधा || इसकी पत्तियों का रस हड्डी ततैया के डंक के दर्द सूजन को पलक झपकते कर देगा छू मंतर |
Basti News || बचपन से लेकर बड़े होने तक कम ही लोग ऐसे होंगे, जिन्हें हड्डी या ततैया के डंक का सामना न करना पड़ा हो। वहीं, अगर घर में अगर आपने बागवानी लगा रखी है। या फिर कभी पिकनिक आदि के सिलसिले में उद्यान पार्क आदि में घूमने होता है तो यदा कदा हड्डी या ततैयों से सामना हो ही जाता है। ऐसी स्थिति में उसका डंक पिकनिक का मजा तो खत्म कर ही देता है। सामने वाले को भी काफी तकलीफ देता है। काम की खबर कि इस कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे पौधे के गुण के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसकी पत्तियां का रस हड्डी, ततैया समेत अन्य विषैला जानवरों के डंक में काफी राहत देने वाला माना गया है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि प्राकृतिक खेती और देसी जड़ी बूटियों के विकास को अपना जीवन बना चुके बस्ती जिले के कर्नल केसी मिश्रा (रि.) का यह कहना है। कर्नल केसी मिश्रा ने अपने फार्म में इस जड़ी बूटी की बागवानी भी तैयार की है। वह अपने यहां आने वाले हर शख्स को इस पौधे क्या कहें जड़ी बूटी के बारे में विस्तार से बताते नहीं थकते।
विशल्यकर्णी है नाम, इसकी पत्तियों का रस विष को कर देता बेअसर
जी हां, हम जिस जड़ी बूटी का जिक्र कर रहे हैं। उसका नाम विशल्यकर्णी है। यह ओडिशा के जंगलों में बहुतायत में पायी जाती है। कर्नल केसी मिश्रा (रि.) बताते हैं कि जड़ी बूटियों के संरक्षण करने के दौरान देश के कई जाने माने वैज्ञानिकों से मुलाकात हुई। इसी कड़ी में पता चला कि रामायण काल में लक्ष्मण को शक्ति बाण की मूर्छा से बाहर लाने में संजीवनी बूटी के साथ दो और जड़ी बूटी का प्रयोग वैद्य सुषेन ने किया था। इसमें एक थी विशल्यकर्णी और दूसरी थी विषकर्णी। इन जड़ी बूटियों का जिक्र वाल्मीकि रामायण में है। तब मेरी उत्सुकता इन जड़ी बूटियों के प्रति बढ़ी और काफी प्रयास के बाद उसे भुवनेश्वर से लेकर बस्ती आए। काफी प्रयास के बाद उसकी नर्सरी तैयार की। जिससे आज उनके पास कई पौधे हैं।
3 से 4 मिनट में कम हो गया हड्डी के डंक का सूजन
विशल्यकर्णी जड़ी बूटी को लेकर कर्नल केसी मिश्रा (रि.) ने स्वयं का अनुभव हमारे साथ साझा किया। उनका गोरखपुर लखनऊ नेशनल हाईवे 28 पर फुटहिया के पास स्थित ग्राम दुबखरा कटया में फार्म हाउस है। जहां वह प्राकृतिक खेती करते हैं। चूंकि यहां पेड़ पौधों की संख्या बहुतायत में है। ऐसे में कीट पतंगों का भी खतरा बना रहता है। वह बताते हैं कि एक बार बागवानी में काम करते समय हड्डियों ने हमला कर दिया। चेहरे पर भी डंक लगे। तभी विशल्यकर्णी को आजमाने के बारे में सोचा। वह कहते हैं आप यकीन नहीं करेंगे। मैने विशल्यकर्णी पौधे की दो तीन पत्तियां तोड़ी और उसे डंक वाले स्थान पर मसल कर उसके रस को लगा दिया। 3 से 4 मिनट में सूजन तो कम हो ही गई। डंक का दर्द भी खत्म हो गया। यही नहीं विशल्यकर्णी का रस डंक को त्वचा से बाहर भी निकाल देता है।
इस तरह काम करती है विशैल्यकर्णी
कर्नल केसी मिश्रा बताते हैं कि विशैल्यकर्णी शरीर के विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर कर देती है। यह कई चीजों के लिए सांप, बिच्छू और ततैया के डंक मारने के लिए बहुत उपयोगी है। अभी तक हमने इसका जो परीक्षण किया है तथा यह हमारे स्टाफ को भी कई बार मार चुकी है और हर बार मैने इसका उपयोग किया। यह तीन से चार मिनट के समय में इलाज कर देती है। अगर सूजन है तो सूजन को कम करती है। जो डंक लगे हुए होते हैं वह शरीर से बाहर निकल जाते हैं और दर्द का एहसास बिल्कुल खत्म हो जाता है। वह कहते हैं कि अगर आपके पास थोड़ी सी भी जगह है तो इस पौधे को जरूर अपने यहां लगाएं।
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