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बच्चों ने मोबाइल न मिलने पर उठाया ऐसा कदम || पुलिस को घंटों होना पड़ा परेशान || हर एक माता-पिता के लिए है सबक |
Up Basti News || बच्चे अक्सर जिद करते ही रहते हैं। वह जिद किसी भी बात को लेकर हो सकती है। वह खिलौने को लेकर या मोबाइल देखने को लेकर हो सकती है।लेकिन, जब यह जिद उनकी मानसिक सेहत और बालसुलभ व्यवहार के लिए चुनौती बन जाए तो सतर्क हो जाने की जरूरत होती है। कुछ ऐसा ही सबक देने वाला मामला उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में सामने आया है।
मोबाइल देखने से मना किया तो छोड़ दिया घर
बस्ती जिले के हर्रैया थाना क्षेत्र के एक गांव के दो सगे भाई बहन केवल इस बात पर नाराज होकर घर छोड़ गए कि, उनके माता-पिता ने उन्हें मोबाइल देखने से मना किया और डांट भी लगाई। बच्चों को यह बात नागवार गुजरी। दोनों एक साथ घर छोड़कर निकल गए। जब यह मामला पुलिस तक पहुंचा तो पुलिस भी पहले समझ नहीं पाई कि आखिर दोनों बच्चों के गायब होने के पीछे की वजह क्या है। लेकिन, जब पुलिस ने दोनों बच्चों को ढूंढ निकाला तो पता चला कि पूरा मामला मोबाइल देखने और इससे मना करने से जुड़ा है।
लखनऊ से वापस लाए गए दोनों बच्चे
जब दोनों बच्चों के गायब होने का पता पुलिस को चला तो पुलिस अलर्ट मोड में आ गई। बस्ती पुलिस ने तत्काल आसपास के जिलों से संपर्क किया और बच्चों की फोटो शेयर कर अपेक्षा की कि अगर यह बच्चे दिखते हैं, तो तुरंत जानकारी दी जाए। इसका असर यह हुआ कि कुछ ही घंटे के बाद बच्चों की लोकेशन लखनऊ में मिल गई। वहां किसी ने दोनों बच्चों को बस्ती आने वाली बस में बैठा दिया। यहां हर्रैया में पहले से मुस्तैद बस्ती पुलिस ने दोनों बच्चों को बस से उतार लिया और परिजनों की सुपुर्द कर दिया। जब बच्चों से पूछा कि उन्होंने ऐसा कदम क्यों उठाया तो बच्चों का कहना था कि उन्हें मोबाइल देखने से मना किया जाता था। इसके लिए उन्हें अक्सर डांट पड़ती थी।
मोबाइल देकर खामोश करना बिगाड़ सकता है भविष्य
एक शोध में सामने आया है कि 5 से 12 साल तक की उम्र के तमाम बच्चे 24 घंटे में 4 से 5 घंटे मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से लगे रहते हैं। यह उनके भविष्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। ऐसे में जरूरी यह है कि बच्चों को अधिक समय तक मोबाइल या कोई भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस देखने के लिए न दें। इससे भविष्य में स्वयं पर नियंत्रण नहीं कर पाएंगे और बात-बात पर क्रोधित होते नजर आएंगे। इससे उनका सामान्य व्यवहार बदल सकता है। बता दें कि, भारत में तमाम घरों में यह देखने को मिल ही जाएगा कि अक्सर माता-पिता बच्चों को चुप कराने के लिए उन्हें मोबाइल हाथ में पकड़ा देते हैं और खुद काम में मशगूल हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चा शांत हो गया है। लेकिन, यह बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। ऐसे में जब भी बच्चा रोए तो उसे आउटडोर गेम या खिलौने देकर शांत कराएं। उसके साथ खेलें।
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