Comments

6/recent/ticker-posts

लहरा बारिश कहीं मानसून की विदाई का संकेत तो नहीं || जानें क्यों कहा जाता है ऐसा || मानसून की विदाई से क्या है कनेक्शन

wave-rain-sign-departure-monsoon-know-why-said-so-what-connection-with-departure-monsoon
लहरा बारिश कहीं मानसून की विदाई का संकेत तो नहीं || जानें क्यों कहा जाता है ऐसा || मानसून की विदाई से क्या है कनेक्शन

Up Rain Alert || Up Ka Mausam || Up Weather Update || Purvanchal Weather Update || UP Rain weather IMD forecast || उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मंगलवार दोपहर करीब सवा बजे बारिश का एक झोंका आया और चला गया। पूरब दिशा से उठे बादल बमुश्किल तीन से चार मिनट ही बरसे होंगे कि हवा के झोंकों से उड़ गए। पूर्वांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की बारिश को लहरा भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब आसमान में बादल अचानक घिरे और चंद मिनट में बारिश होकर बादल हवा में उड़ जाएं तो उसे बारिश का लहरा आना कहते हैं। इसे लेकर किसानों का मानना है कि अगर इस तरह से बारिश का रुख दिखने लगे तो माना जाता है कि मानसून की विदाई का वक्त आ गया है। हालांकि मौसम विभाग की ओर से सोमवार को उत्तर प्रदेश के 48 से अधिक जिलों के लिए भारी बारिश जारी किया गया है। जिसके मुताबिक बारिश तो हो रही है, लेकिन अभी भारी बारिश जैसी स्थिति नहीं देखने को मिल रही है।

उमस से राहत मिलने की उम्मीद बढ़ी

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश को लेकर मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार बारिश देखने को मिल रही है। इससे थोड़ा बहुत ही सही लेकिन उमस भरी गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद बढ़ने लगी। इसके पीछे बड़ी वजह यह हो सकती है कि अगर किसी एक जिले में अच्छी बारिश हो जाती है तो उसका असर आसपास के जिलों के मौसम पर भी पड़ता है। वहां भी तापमान में गिरावट होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में अगर पूर्वांचल के जिन जिलों में बारिश हो जा रही है तो उसके आसपास के जिलों में भी उमस भरी गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी। हालांकि सोमवार को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में बारिश नहीं हुई। वहीं, बस्ती और संत कबीर नगर में ठीक-ठाक बारिश हुई। लेकिन अभी उमस भरी गर्मी का असर जारी है। ऐसे में उमस भरी गर्मी से राहत पाने के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ सकता है।

किसानों की कम होने लगी है चिंता

उत्तर प्रदेश के 48 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी होने के बाद से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें थोड़ी कम हुई हैं। किसानों का मानना है कि अगले 4 से 5 दिनों के भीतर भी अगर बारिश हो जाती है तो यह धान की फसल के लिए अच्छा माना जा सकता है। हालांकि तमाम किसान यह भी मानते हैं कि केवल ऊंचे इलाकों में स्थित खेतों में ही पानी की कमी है। ऐसी स्थिति में किसान मानते हैं कि मानसून की सितंबर के आखिरी तक मानसून की विदाई होने तक अगर रुक-रुक कभी बारिश होती रहती है तो भी धान की फसल पर नकारात्मक असर पड़ने की उम्मीद कम रहेगी और पैदावार भी सामान्य स्थिति में रह सकता है। फिलहाल अभी आने वाले दिनों में मानसून विदा लेने से पहले क्या असर दिखाता है इस पर सभी की नज़रें टिकी हैं। 

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now

Post a Comment

0 Comments