फिशरमैन कांग्रेस ने जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन
बस्ती (यूपी)। फिशरमैन कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन देवेंद्र निषाद के आह्वान पर फिशरमैन कांग्रेस पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सचिव सोमनाथ निषाद संत जी के नेतृत्व में जिलाधिकारी के प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। मांग किया कि संसद के विशेष सत्र में जे. रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को पेश किया जाए।
ज्ञापन सौंपने के बाद फिशरमैन कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष ई. राजबहादुर निषाद ने बताया कि भेजे ज्ञापन में जातिगत जनगणना कराने, पिछड़ों का आबादी के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने, पिछड़ों व अति पिछड़ों, अत्यंत पिछड़ों के आरक्षण का वर्गीकरण करने एवं महुआ समुदाय को नदी के समस्त अधिकार दिए जाने मांग शामिल है।
ई. राजबहादुर निषाद ने कहा कि आजादी के 76 वर्ष के पश्चात भी पिछड़े वर्ग की अधिकतर जातियों की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है। इसका सबसे बड़ा कारण 1931 के बाद पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना के आंकड़े ना होना है। वर्ष 2011 में केंद्र सरकार ने जनगणना में जातिगत और आर्थिक आंकड़े जुटाए। लेकिन 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आ गई। बाद में बीजेपी सरकार ने जनगणना में वर्ग के जातिगत और आर्थिक आंकड़े पेश नहीं किए और वर्ष 2021 में शुरू होने वाली जनगणना को भी शुरू नहीं कराया गया।
प्रदेश सचिव सोमनाथ निषाद संत ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना जिसकी कितनी आबादी उसका उतना हक मिलना चाहिए की मांग की और इस लड़ाई को मजबूती से लड़ने के लिए कहा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री को जातिगत जनगणना कराने के लिए 16 अप्रैल 2023 को पत्र लिखा। सोनिया गांधी ने भाजपा द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र में जातिगत जनगणना पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।
केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर 2017 को ओबीसी वर्ग की जातियों के बंटवारे के लिए जे. रोहिणी आयोग बनाया। सरकार ने रोहिणी आयोग को तीन काम दिए। पहला ओबीसी के अंदर अलग-अलग जातियों और समुदाय को आरक्षण का लाभ कितने असमान तरीके से मिल रहा है, इसकी जांच करना। दूसरा ओबीसी के अंदर 27 प्रतिशत आरक्षण बंटवारे तरीका आधार और मानदंड तय करना और तीसरा ओबीसी की जातियों का उपवर्गों में बांटने के लिए पहचान करना। आयोग के 19 बार विस्तार के बाद 31 जुलाई 2023 को आयोग ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी। सरकार ने भी जे. रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है। रिपोर्ट को सार्वजनिक करना पिछड़ों के हितों के लिए अति आवश्यक है।
ज्ञापन देने वालों में मुख्य रूप से राजेश साहनी, परमात्मा निषाद, ओंकार निषाद, प्रेम गौतम, पवित्र शंकर आदि शामिल रहे।
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