बस्ती जनपद में वर्तमान में लंपी के 45 केस हैं। दुग्ध आयुक्त उत्तर प्रदेश शशि भूषण लाल सुशील ने कहा है कि प्रभावित गांव में टीकाकरण एवं सैनिटाइजेशन प्राथमिकता पर कराया जाए...
बस्ती (यूपी)। शासन की ओर से नामित नोडल अधिकारी दुग्ध आयुक्त उत्तर प्रदेश शशि भूषण लाल सुशील की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में पशुओं में हो रही लंपी स्किन डिजीज के संबंध में बैठक की गई। बैठक में उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रसार को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। प्रयास करें कि इसका बहुत ज्यादा असर पशुओं में न हो, ताकि हम उनकी जान बचा सकें। पिछले वर्ष राजस्थान में इस बीमारी से काफी पशुओं की जान जा चुकी है। निर्देश दिया कि छुट्टा पशुओं को गोशाला में ले जाकर रखने पर उसे निःशुल्क न छोड़े तथा नियमानुसार जिला पंचायत जुर्माना लगाएं।
प्रभावित गांवों में कराएं टीकाकरण
दुग्ध आयुक्त उत्तर प्रदेश ने कहा कि प्रभावित गांव में टीकाकरण एवं सैनिटाइजेशन प्राथमिकता पर कराया जाए। किसी भी पशु के बीमार होने पर उसकी सूचना तत्काल कंट्रोल रूम को दी जाए। ब्लॉक स्तर पर भी कंट्रोल रूम बनाया जाए। गोशालाओं पर विशेष निगाह रखी जाए। उनके निर्देश पर सर्विलांस के लिए पीलीभीत से तैनात किए गए दो पशुचिकित्साधिकारी डॉ. उज्जवल कुमार तथा डॉ. विश्वास सिंह ने बैठक में इस बीमारी से बचाव के उपायों की जानकारी दी। आयुक्त ने उन्हें निर्देशित किया है कि सात-सात ब्लॉक आपस में चिन्हित करके निरंतर क्षेत्रीय भ्रमण करें तथा रिपोर्ट जिलाधिकारी को भी उपलब्ध कराएं।
जिले में पाए गए हैं लंपी के 45 केस
बैठक की समीक्षा में पाया कि लंपी स्किन डिजीज के जनपद में वर्तमान में 45 केस है। उन्होंने सभी ईओ नगर पालिका, नगर पंचायत को निर्देश दिया है कि साफ-सफाई के साथ दवाओं का छिड़काव कराएं। इस संबंध में डीपीआरओ भी ग्राम प्रधान, बीडीओ के साथ बैठक करें और सूचना प्राप्त होने पर संबंधित को अवगत कराएंगे।
दुग्ध आयुक्त ने किया गोशाला का निरीक्षण
बता दें कि, दुग्ध आयुक्त ने विकास खंड विक्रमजोत के ग्राम मलहनी में गौशाला का निरीक्षण तथा ग्राम केशवपुर एवं लालपुर में गोवंशों में एलडीएस संक्रामक बीमारी के रोकथाम के लिए निरीक्षण किया। निरीक्षण के समय मुख्य विकास अधिकारी डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, संयुक्त निदेशक पशुपालन, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एवं विकास खंड स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
सर्विलांस को चार आरआरटी गठित
जिलाधिकारी अंद्रा वामसी ने निर्देश दिया है कि बीमारी से प्रभावित प्रत्येक गांव के लिए एक जिला स्तरीय नोडल नामित करें, जो टीकाकरण एवं सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान देंगे। बताया कि तहसील स्तर पर सर्विलांस के लिए 4 आरआरटी का गठन किया गया है। विकास खंड में टीकाकरण एवं चिकित्सा के लिए 14 टीमों का गठन किया गया है, जिसमें 24 पशु चिकित्साधिकारी, 23 पशुधन प्रसार अधिकारी एवं 14 अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है। बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए 23 हजार गोवंशीय पशुओं को इसका वैक्शीन लगाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी गोवंशीय पशुओं में ज्यादा पाई गई है।
यह है कंट्रोल रूम का नंबर
अपर निदेशक पशुपालन डॉ. विकास साठे ने बताया कि जनपद स्तर पर स्थापित कंट्रोल रूम मो.नं0-9793868800 तथा 1962 पर बीमारी से संबंधित सूचना दी जा सकती है। जानकारी प्राप्त होते ही पशुचिकित्सा की टीम मौके पर पहुंचेंगी तथा इलाज करेंगी। लंपी स्किन डिजीज एक विषाणुजनित रोग है।
मनुष्यों को लंपी से नहीं है खतरा
इस रोग में पशु को तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, पूरे शरीर में कठोर एवं चपटी गांठ आदि लक्षण पाए जाते हैं। सांस की नली में घाव होने से सांस लेने में कठिनाई होती है, पशु का वजन घट जाता है और अत्यधिक कमजोरी से पशु की मृत्यु हो जाती है। इस रोग से मनुष्य को कोई खतरा नहीं है।
लंपी से मृत मवेशी को वैज्ञानिक विधि से दफनाएं
सीबीओ डॉ. एके कुशवाहा ने बताया कि रोग से प्रभावित पशुओं का आवागमन प्रतिबंधित करें। पशु के शरीर पर मच्छर, मक्खी, किलनी से बचाने के लिए कीटनाश दवा का प्रयोग करें। बीमार पशु को चरने के लिए पशुओं के साथ न भेजें। प्रभावित क्षेत्र से पशु खरीद कर न लाएं, यदि इस रोग से किसी पशु की मृत्यु होती है तो शव को वैज्ञानिक विधि से दफनाएं।
बैठक में यह रहे मौजूद
बैठक में सीडीेओ डॉ. राजेश कुमार प्रजापति, डीएफओ नवीन कुमार शाक्य, एडीएम कमलेश चंद्र, पीडी राजेश झा, उप जिलाधिकारी विनोद चन्द्र पांडेय, गुलाब चंद्र, जीके झा, खंड विकास अधिकारी तथा पशु चिकित्साधिकारी गण उपस्थित रहे।
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