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कॉल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए रखें अलग मोबाइल नंबर || कम हो जाएगी cyber हमले की आशंका

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Mobile Phone Call And Social Media: अक्सर आपने सुना होगा कि फलां व्यक्ति के मोबाइल नंबर (Mobile Number) या व्हाट्सएप (WhatsApp) पर लिंक (Link) भेज कर लाखों करोड़ों की धोखाधड़ी कर ली गई। यह स्थिति तब भी सामने आ रही है, जब आरबीआई (RBI) से लेकर पुलिस महकमे तक के अधिकारी आए दिन लोगों को जालसाजों से सतर्क रहने के तरीके बताते रहते हैं। लेकिन साइबर जालसाज (Cyber Attacker) हर बार कुछ नया पैंतरा अपना कर लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बना ही लेते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या किया जाए की साइबर हमला करने वाले जालसाजों की पहुंच बैंक अकाउंट (Bank Account), सोशल मीडिया ( Social Media) अकॉउंट या मोबाइल नंबर से जुड़े वॉलेट (Wallets) तक न होने पाए। इस आर्टिकल में आपको साइबर क्राइम का टोल फ्री नंबर क्या है? 1930 पर कॉल करने से क्या होता है? ऑनलाइन फ्रॉड हो जाए तो क्या करें? यूपी में साइबर क्राइम का मुख्यालय कहां है? जैसे सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे।

सोशल मीडिया और कॉलिंग के रखें अलग नंबर

सबसे पहली बात तो यह कि अगर आप साइबर जालसाज के हमले से काफी हद तक सुरक्षित रहना चाहते हैं, तो आपको बात करने और सोशल मीडिया अकाउंट के लिए अलग-अलग नंबर प्रयोग में लाना चाहिए। खासकर जिस मोबाइल नंबर से पेटीएम (Paytm), फोनपे (Phonepay), गूगल पे (Google Pay) या अन्य किसी वॉलेट को एक्टिवेट किया गया है। उस मोबाइल नंबर को सार्वजनिक करने से बचना चाहिए। ऐसे में बात करने के लिए अलग सिम कार्ड (Sim Card) का प्रयोग किया जा सकता है। वहीं, इससे एक सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सोशल मीडिया से जालसाज आपके मोबाइल नंबर को नहीं पा सकेगा। ऐसे में आप काफी हद तक साइबर अटैक से बचे रह सकते हैं।

अंजान लिंक ( Unknown Link) पर कभी न करें क्लिक

जालसाजों की ओर से आए दिन मोबाइल नंबर धारकों को तरह-तरह के लुभाने वायदे कर लिंक भेजा जाता है। अक्सर जानकारी न होने की वजह से कई लोग इसके झांसे में आकर लिंक पर क्लिक कर देते हैं। लिंक पर क्लिक करते ही अगर आपका मोबाइल नंबर किसी वॉलेट से जुड़ा है, तो उसकी तमाम जानकारी जालसाज तक पहुंच जाती है। फिर जालसाज साइबर तकनीक का उपयोग कर आपके बैंक अकाउंट की तमाम जानकारी प्राप्त कर लेता है। फिर आपके बैंक अकाउंट को खाली करने में उसे जरा भी देर नहीं लगती है। जब तक आपको इस धोखाधड़ी का पता चलता है, तब तक आपके जीवन की गाढ़ी कमाई आपसे दूर जा चुकी होती है। इधर, आप पुलिस के चक्कर में पड़कर परेशान होते हैं। कम ही भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें जालसाजों के द्वारा हड़पी गई रकम वापस मिल जाती है। ऐसे में सबसे बड़ा कदम यही है कि आप सुरक्षित रहें और सतर्क रहें। अंजान लिंक पर किसी भी दशा में क्लिक न करें।

वेबसाइट पर विजिट करने के दौरान भी रहें सतर्क

जब आपको किसी बड़ी कंपनी के बारे में या किसी उत्पाद के बारे में जैसे मोबाइल (Mobile), टेलीविजन (Television), वाशिंग मशीन (Washing machine), एसी (Air conditioner), कूलर (Cooler), इंडक्शन (Induction) आदि के बारे में रिव्यू देखना होता है, तो आप यह करते होंगे कि संबंधित कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट ( Official website) पर जाकर उत्पादों का ब्यौरा देखते हैं। यहां भी विशेष तौर पर सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। दरअसल होता यह है कि जालसाज तमाम बड़ी कंपनियों के नाम से मिलते जुलती वेबसाइट बना लेते हैं, लोगों को जानकारी होती नहीं इसलिए उन्हें लगता है कि यही ऑफिशियल वेबसाइट है। ऐसे में जब भी आप किसी बड़ी कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट करने के बारे में सोच रहे हों तो संबंधित वेबसाइट की स्पेलिंग ग्रामर इत्यादि पर भी नजर डाल लें। इससे भी जालसाजों के सीधे संपर्क में आने की संभावना कम हो जाएगी।

साइबर ठगी के शिकार हो जाएं तो क्या करें

अगर आप दुर्भाग्यवश साइबर अपराध के शिकार हो जाते हैं, तो जरूरी है कि आप तुरंत इस घटना की पुलिस को जानकारी दें। इसके लिए उत्तर प्रदेश की साइबर पुलिस (Cyber Police) की ओर से साइबर अपराध से जुड़ी शिकायतों के लिए राज्य के सभी जिलों के लिए मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं। यह टोल फ्री नंबर है 1930। इसके अलावा भी आप अपने जिले के साइबर थाना में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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