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अभी 2 साल तक चाहे जितना करें UPI ट्रांजैक्शन ||PhonePe, GooglePay आदि TPAP पर लगाम नहीं लगाएगा NPCI |
UPI Payments 2024 || देश में मौजूदा समय में UPI के बिना जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती है। देश में UPI से हर रोज लाखों-करोड़ों का Payments या ट्रांजेक्शन होता है। यह payments PhonePe, GooglePay या paytm जैसे कई पेमेंट एग्रीगेटर्स के माध्यम से किया जाता है। अब जो खबर मीडिया में आ रही है इन पेमेंट एग्रीगेटर्स को रेगुलेट करने वाली संस्था भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की ओर से इन सभी Third Party App Providers थर्ड पार्टी एप प्रोवाइडर्स (TPAP) पर ट्रांजेक्शन लिमिट को लेकर नियंत्रण लगाएगा। इसमें यह व्यवस्था बनाई जाएगी कि किसी भी प्लेटफॉर्म से होने वाले कुल UPI ट्रांजेक्शन का 30 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। सूत्रों के हवाले से खबर है कि पेमेंट एग्रीगेटर्स पर UPI पेमेंट्स में 30 प्रतिशत का मार्केट कैप अभी नहीं लगाया जा रहा है।
PhonePe, GooglePay को होगा फायदा
NPCI के इस कदम से सबसे अधिक फायदा PhonePe, GooglePay को होने वाला है। गूगल पे (Google Pay) और वालमार्ट के स्वामित्व वाले फोन पे (PhonePe) को इसका फायदा क्यों मिलेगा, इसे जानने के लिए आपको NPCI के आंकड़ों पर नजर डालनी पड़ेगी। NPCI के अप्रैल महीने के आंकड़ों आपको इसकी बारीकी समझने में मदद करेंगे। दरअसल, PhonePe की हिस्सेदारी UPI पेमेंट में अप्रैल 2020 में 37 प्रतिशत ही थी। यह बढ़कर अब 48.3 प्रतिशत हो चुकी है। वहीं, Google Pay की हिस्सेदारी 37.4 प्रतिशत हो गई है जो पहले 44 फीसदी थी। पेटीएम की बात करें तो उसकी हिस्सेदारी 8.4 प्रतिशत तक है। लिहाजा फोन पे व गूगल पे, दोनों ही फिनटेक दिग्गज 30 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रखते हैं। NPCI के हाल के दिनों के आंकड़े बताते हैं कि दोनों प्लेटफॉर्म्स से अप्रैल में कुल 11.5 अरब रुपये के ट्रांजेक्शन हुए हैं।
मार्केट कंसंट्रेशन पर नहीं, ग्रोथ को तवज्जो
सूत्रों के जरिए खबर आ रही है कि भारत एक बार फिर से लोकप्रिय डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने पर विचार कर रहा है। इसके लिए बाजार में हिस्सेदारी की सीमा (मार्केट कैप) तय करने में अभी और समय लग सकता है। इससे सबसे अधिक फायदा Google Pay व PhonePe को हो सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि अधिकारी मार्केट में कंसंट्रेशन पर अभी जोर नहीं दे रहे हैं, अपितु वह ग्रोथ को अधिक महत्व देने लगे हैं।
TPAP को 30 प्रतिशत मार्केट कैप के दायरे में लाने का था प्रस्ताव
NPCI की ओर से साल 2020 में ही UPI ट्रांजेक्शन को लेकर एक कदम उठाया गया था। जिसमें थर्ड पार्टी ऐप्लिकेशन प्रोवाइडर (TPAP) को 30 प्रतिशत मार्केट कैप के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा गया था। मगर हुआ यह कि बाद में इसे 2 साल के लिए बढ़ा दिया। इसके बाद नवंबर 2022 में NPCI की ओर से पुनः सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा गया। अब NPCI की ओर से UPI प्लेटफॉर्म्स के लिए स्वयं की बाजार हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक सीमित करने की डेडलाइन तय की थी। यह डेडलाइन 31 दिसंबर 2024 तय की गई थी। सूत्रों की ओर से जानकारी दी गई है कि NPCI का मार्केट कैप लगाने का यह फैसला अब डेडलाइन की तारीख के आसपास ही तय किया जाएगा।
क्रेड और ऐक्सिस बैंक की बाजार हिस्सेदारी 1 फीसदी
अब जरा बात करते हैं, क्रेड और ऐक्सिस बैंक एप की। भारत में यह दोनों भी UPI ट्रांजैक्शन की सुविधा उपभोक्ताओं को देते हैं। लेकिन, इन दोनों की बाजार हिस्सेदारी केवल 1 फीसदी ही है। ऐसे में हाल ही सूत्रों के हवाले से यह खबर आई थी कि कई कंपनियां UPI में निवेश करने से बचने लगी हैं। वजह यह थी यह ट्रांजैक्शन सभी के लिए free होता है। इसमें मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं लगाया जाता है।
UPI ट्रांजैक्शन पर कैप क्यों चाहता है NPCI
एनपीसीआई की ओर से यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कैप लगाने प्रस्ताव क्यों चाहता था, इसे जानना जरूरी है।इसकी वजह यह थी कि किसी भी TPAP को एकाधिकार पाने से प्रभावी तरीके से रोका जा सके। क्योंकि, इन कंपनियों को एक बार एकाधिकार हासिल गया तो यह प्लेटफार्म भारी रिटर्न के साथ निवेश को वापस पाने के लिए अपनी सर्विसेज के लिए कुछ एक्स्ट्रा फीस लगाने का विचार कर सकती हैं। ऐसा साल 2016 में हुआ भी था। उस समय कई कंपनियां UPI पेमेंट पर अतिरिक्त चार्ज लगा दिया था। लेकिन, जब यह बात सरकार के संज्ञान में आई तो ऐसा करने पर रोक लगा दी।
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