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डॉक्टर की कही बात, बहुत देर हो गई है, ने बदल दिया प्रमोद ओझा के जीवन का उद्देश्य, हादसों में घायल सैकड़ों शख्स की बचा ली जिंदगी

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डॉक्टर की कही बात, बहुत देर हो गई है, ने बदल दिया प्रमोद ओझा के जीवन का उद्देश्य, हादसों में घायल सैकड़ों शख्स की बचा ली जिंदगी

Highway Devadut Pramod Ojha Basti || हर किसी के जीवन में ऐसे पल आते हैं, जो जीवन के उद्देश्य पूरी तरीके से बदल देते हैं। नई दिशा दे जाते हैं। आज हम उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले एक ऐसे ही शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। हाईवे देवदूत के रूप में अपनी पहचान बना चुके प्रमोद ओझा अब तक सड़क हादसे में घायल सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं। इसके लिए उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है। आज उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य सड़क हादसे में घायल लोगों को जितना जल्दी हो सके बेहतर इलाज मुहैया कराना है। ताकि कोई परिवार अपने प्रियजनों को खोने नहीं पाए।

तब आठ साल थी उम्र, लेकिन डॉक्टर की कही बात मन में बैठ गई

बस्ती जिले के रजौली गांव निवासी प्रमोद ओझा बताते हैं कि उस समय उनकी उम्र करीब 8 वर्ष रही होगी। 1990 में एक रोज उनके बाबा सागर ओझा सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए। गंभीर चोट लगने की वजह से उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉक्टर ने इलाज शुरू किया। प्रमोद ओझा कहते हैं जिस समय डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे। वह वहीं पर पिता के साथ मौजूद थे। डॉक्टर ने एक बात कही कि इन्हें लाने में देर कर दी और थोड़ी देर बाद बाबा सागर ओझा का निधन हो गया। उस समय डॉक्टर की यह बात प्रमोद ओझा के मन में इस कदर बैठ गई कि उनके जीवन का उद्देश्य ही बदल गया। मौजूदा समय में पत्रकारिता में सक्रिय प्रमोद ओझा ने ठान लिया कि सड़क हादसे में घायल अब किसी की जान इस वजह से नहीं जाने देंगे कि उसे समय पर इलाज नहीं मिला। 

7 से 8 सौ लोगों प्रमोद ने पहुंचाया अस्पताल

प्रमोद ओझा खुद बताते हैं कि अब तक उन्होंने 7 से 800 लोगों को ऐसे लोगों को अस्पताल पहुंचाया है जो सड़क दुर्घटना के शिकार हुए हैं। इसमें से अधिकांश की जिंदगी समय पर इलाज मिलने की वजह से बच गई। आज उन परिवार के लोगों में प्रमोद ओझा की छवि किसी देवदूत के जैसी है। वह प्रमोद ओझा को देखते ही नतमस्तक हो जाते हैं। प्रमोद ओझा बताते हैं कि यह काम वह समाज के लिए करते हैं। उनका उद्देश्य केवल एक है कि जो कोई भी किसी को सड़क हादसे में घायल देखें तो कोशिश करें कि उसे जल्दी से जल्दी नजदीक के अस्पताल में पहुंचा दे। ताकि उसकी जिंदगी को बचाया जा सके। उनके जीवन का उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब समाज में हर लोग घायलों की मदद करने के लिए आगे आएंगे। और डॉक्टर देर होने के बजाय यह कहेंगे कि इसे समय पर अस्पताल लाया गया जिससे उसकी जान बच गई। 

डायल 112 ने दिया बेस्ट कॉलर का खिताब

प्रमोद ओझा मंडलीय सड़क सुरक्षा समिति व सड़क परिवहन मंत्रालय के हिट एंड रन जनपदीय समिति के नामित सदस्य हैं। इसके अलावा उन्हें इसी साल 26 जनवरी के मौके पर डायल 112 की ओर से बेस्ट कॉलर के रूप में सम्मानित भी किया गया है। प्रमोद ओझा बताते हैं कि अब उनके जीवन का उद्देश्य केवल घायलों को समय से अस्पताल पहुंचना तो है ही इसके अलावा लोगों को जागरूक करना भी है। ताकि वह सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करें और सड़क दुर्घटना का शिकार होने से बचें। इसके लिए वह आए दिन प्रयास भी करते रहते हैं।

परिवार की खुशी के लिए लगाएं हेलमेट

सोमवार को सागर सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद ओझा ने परिवहन विभाग के साथ मिलकर बड़ेबन चौराहे पर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरुक किया। इस दौरान उनकी ओर से हेलमेट भी वितरित किया गया है। प्रमोद ओझा ने लोगों को रोक कर कहा कि वह सड़क पर चलते समय यातायात नियमों का पालन करें। हेलमेट खुद को सुरक्षा देता है, परिवार को भी खुश रखता है। ऐसे में अपनी सुरक्षा के साथ-साथ परिवार की खुशी के लिए भी हेलमेट जरूर लगाएं। मौके पर आरटीओ रविकांत शुक्ला, एआरटीओ पंकज सिंह के साथ ट्रैफिक पुलिस की ओर से भी लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक किया गया।

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