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कितनी रोई होगी वो...

कितनी रोई होगी वो...


कितनी रोई होगी वो

तूने बेशक हवसी आंखों से, केवल उसको ताका होगा

पर उसकी नजरों ने जीवनभर हरएक नजरों को आंका होगा

पूरी रात ना सोई होगी वो

कितनी रोई होगी वो

जब तूने उसके भोलेपन को, सूनेपन में बदला होगा

जब तूने उसको बाहर छूकर, अंतर्मन को कुचला होगा

तब खुद को टोई होगी वो 

कितनी रोई होगी वो

जब तूने पत्थर हाथों से उस कोमल को मसला होगा 

उस नवपल्लव का मन जाने तिन तिन कितना झुलसा होगा

अपनो में भी खोई होगी वो

कितनी रोई होगी वो

जब तूने अपने कृत्यों से कुमकुम उसका कुतरा होगा

क्रंदन से काजल भी उसका रुधिर बन पिघला होगा

तब कितना चीखी होगी वो 

कितनी रोई होगी वो 

जब तूने इल्लत के वश में, जिल्लत उसको किया होगा 

जब तू उसके अंगों को छू, वहशीपन अपना जिया होगा

कितना सिसकी होगी वो

कितनी रोई होगी वो


अस्मिता सिंह

पत्नी-सुशील कुमार

गांव टांगपरा, पोस्ट मिश्रौलिया, बस्ती

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