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Expressway पर कारों के टायर में विस्फोट बन रहा मौत का कारण || आप भी न करें यह गलतियां || जानें टायर फटने की वजह और बचने का तरीका

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Tyre Burst on Expressway: अक्सर आप ने सुना होगा कि फलां एक्सप्रेस वे पर चलती कार का टायर फट गया। उसमें सवार लोगों की जान चली गई या वह गंभीर रूप से घायल हो गए। बीते कुछ दिन पहले ही ऐसी घटना सामने आई है। ग्रेटर नोएडा से देवरिया जाते समय यमुना एक्सप्रेस वे पर दूल्हे की कार टायर फट गया। हादसे में 5 की मृत्यु हो गई, जबकि 3 लोग घायल हुए। यह कोई इकलौता हादसा नहीं है, ऐसे हादसों की फेहरिस्त काफी लम्बी है। उत्तर प्रदेश समेत देश के तमाम एक्सप्रेस-वे पर गर्मी के मौसम में वाहनों के टायर फटने की कई घटनाएं बढ़ जाती हैं। 

एक्सप्रेस वे पर बढ़ रहे हादसों का कारण जानना जरूरी

Road Accident on Expressway || देश में फोरलेन, सिक्सलेन सड़कों के साथ ही एक्सप्रेस वे का तेजी से निर्माण हुआ है। इससे देश भर में सफर और माल ढुलाई में सुविधा तो हुई, लेकिन हादसों का आंकड़ा भी बढ़ने लगा। मगर सबसे ज्यादा फिक्र तब होती है जब तमाम रोड इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए बनाए गए एक्सप्रेस वे पर टायर फटने से कोई बड़ा हादसा हो जाता है। हालांकि कार के सफर के दौरान अपनी भी कोई छोटी सी लापरवाही भारी पड़ जाती है। यही वजह है कि इन दिनों यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे ने सभी का ध्यान खींचा है। उसमें सबसे बड़ा कारण जो अब तक सामने आया है वह है चलती का टायर फटना।

क्या सामने आ रही है वजह

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यमुना एक्सप्रेस वे पर कार अपनी गति से दौड़ रही थी। इसी दौरान अचानक कार का अगला पहिया तेज आवाज के साथ फट गया। इससे कार अनियंत्रित हो गई। कार की रफ्तार तेज थी। इस वजह से चालक जब तक कुछ समझ पाता, तब तक कार कई बार पलटते हुए डिवाइडर से टकरा गई। कार के परखच्चे उड़ गए। इस हादसे का अब तक जो कारण माना जा रहा है, वह है टायर का फटना। लेकिन ऐसा हुआ क्यों, इसी सवाल का जवाब आपको अपने सफर को सुरक्षित बनाने में मददगार साबित हो सकता है। लिहाजा आपके लिए जानना बेहद जरूरी है, की आखिर क्या वजह है कि एक्सप्रेस-वे पर गर्मी के मौसम में वाहनों के टायर फट जाते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।

क्यों फटता है टायर, टायर फटने के कारण

नेशनल हाईवे या एक्सप्रेस वे पर टायर फटने के कई कारण हो सकते हैं। मगर, सैद्धांतिक रूप जानें तो टायर तब फटता है, जब टायर में दबाव बनाए रखने वाली हवा तेजी से निकल जाती है। तब टायर का स्ट्रक्चर यानी आकार बिगड़ जाता है और होता यह कि टायर अपने अंदर हवा को रोक नहीं पाता है और टायर फट जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो टायर की कंडीशन खराब होना भी वजह हो सकता है। जैसे टायर में छेद या लीकेज होना। ऐसे हाल में हवा तेजी से बाहर निकलने की कोशिश करती है और टायर के बिगड़े स्ट्रक्चर की वजह से हवा रुक नहीं पाती है और तेज आवाज के साथ टायर फट जाता है।

कुछ महत्वपूर्ण टिप्स जो घटा सकते हैं टायर फटने की आशंका

आमतौर पर जब कार या कोई अन्य वाहन खरीदते हैं या गाड़ी का टायर बदलते हैं तो टायर बनाने वाली कंपनियां टायर को लेकर कुछ जरूरी बातों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराती हैं। जिसे यूं ही देखकर नजरअंदाज नहीं कर देना चाहिए। टायर निर्माता कंपनियां जैसे Apolo Tyres, MRF, Ceat आदि भी टायर की लाइफ और परफार्मेंस को लेकर कुछ अहम बातों के बारे में बताती हैं। जिनकी वजह से टायर फटते हैं। Tyre Brust

गड्ढों में टायर पड़ना या रगड़ खाना

इसे डायरेक्ट इम्पैक्ट के तौर पर बताया गया है। सड़क पर चलते समय कार का टायर अचानक से किसी बड़े गड्ढे, पोथहोल के संपर्क में आ जाता है या फिर खराब सड़कों  के किनारे या फिर डिवाइडर की साइड से रगड़ खाने से भी टायर के स्ट्रक्चर के क्षतिग्रस्त हो जाता है और टायर फटने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि एक्सप्रेस-वे पर गड्ढे या पोथहोल होने की संभावना काफी कम होती है। क्योंकि एनएच व एक्सप्रेस वे काफी बेहतर और स्मूथ होते हैं। हां, आम सड़कों पर चलने के दौरान यह कारण हो सकते हैं।

तापमान का अधिक होना भी कारण 

गर्मी के मौसम में तापमान काफी बढ़ जाता है। तेज धूप में सड़कें भी गर्म हो जाती हैं। इस मौसम में टायरों के फटने की आशंका अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। इस मौसम में टायर के फटने के पीछे तापमान बड़ा कारण हो सकता है। दरअसल, चलती कार का टायर सड़क वसे सीधे संपर्क में होता है। सड़क पर टायर के घर्षण से टायर का टेम्परेचर बढ़ जाता है। कई बार टायर से जलने की गंध भी आने लगती है। ऐसे में टायर पुराना है  किसी वजह से उसका स्ट्रक्चर बिगड़ा हुआ है तो टायर के फटने की आशंका बढ़ जाती है। गौरतलब है कि गर्मी के सीजन में उत्तर भारत में तापमान 42 से 45 डिग्री है इससे भी ऊपर पहुंच जाता है। तब यदि टायर की कंडीशन ठीक नहीं है तटायर फटने की संभावना बढ़ जाती है।

सभी टायरों में हवा का प्रेशर सही रखें

वाहन स्वामी को चाहिए कि कार या किसी भी वाहन के टायर में हवा का प्रेशर मानक के अनुसार रखें। टायर में हवा का दबाव कम होने से भी टायर फटने की आशंका बढ़ जाती है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि टायर फटने के करीब 75 प्रतिशत मामलों में यह देखा गया है कि दुर्घटना के समय टायर में हवा का दबाव कम था। हवा का प्रेशर कम होने के कारण टायर अत्यधिक लचीला हो जाता है और घर्षण काफी बढ़ जाता है। इससे टायर का स्ट्रक्चर डैमेज यानी क्षतिग्रस्त होने लगता है। तब जब हवा फूले हुए टायर के अंदर घूमती है। दबाव और सड़क के घर्षण के कारण धीरे-धीरे गर्म होने लगती है। इससे टायर फटने की आशंका बढ़ जाती है।

वाहन का तेज रफ्तार से चलना या चलाना

अक्सर लोग जल्दी में होने पर या आपातकाल में तेज गति से वाहन चलाने लगते हैं। यह भी टायर फटने का एक कारण हो सकता है। दरअसल, हर टायर को एक विशेष गति सीमा और सड़क की सतह के लिए रेट किया जाता है। अगर चालक उन सीमाओं को नहीं जानता या उस पर ध्यान नहीं देता है तो खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में चालक जब कार तेज गति से चलाता है तो टायर के फटने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त तेज रफ्तार मेंरोड और टायर के बीच घर्षण काफी तेज हो जाता है। इस पर ध्यान देना जरूरी है।

ओवरलोडिंग से टायरों पर बढ़ता है दबाव

वाहनों में ओवरलोडिंग से बचना चाहिए। चाहे मालवाहक वाहन हो या सवारी वाहन। वाहन उतना ही सामान लोड करें, जितना मानक तय है। वहीं, सवारी गाड़ी में भी उतने लोग ही बैठें जितने की सीट है। क्योंकि, जब ऐसा होता है तो टायर पर दबाव बढ़ने लगता और टायर फटने की आशंका बढ़ जाती है। हमने आपको ऊपर बताया है कि प्रत्येक वाहन के टायर को उसकी बॉडी स्ट्रक्चर और लोड को ध्यान में रखकर डिजाइन करते हैं। ऐसे में अगर ट्रक, बस और कार में अत्यधिक ओवरलोडिंग होती है तो टायर फटने की संभावना बढ़ जाती है।

क्यों एक्सप्रेस वे होती है ज्यादा घटना

यमुना एक्सप्रेस वे दूल्हे की कार का टायर फटने की घटना कोई पहली या आखिरी घटना नहीं है। बीते कुछ सालों में हुए हादसों पर नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि पहले भी इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। इसका प्रमुख कारण है कि, एक्सप्रेस-वे पर चढ़ते ही वाहन की रफ्तार बढ़ जाती है। क्योंकि एक्सप्रेस वे की रोड कंडीशन आम सड़क की तुलना में बेहतर होती है। ऐसे में तेज रफ्तार से टायर और रोड के बीच घर्षण अचानक से काफी बढ़ जाता है। एक और महत्वपूर्ण कारण यह भी माना जाता है कि एक्सप्रेस-वे को बनाने में कंक्रीट (Concrete) या सीमेंट का प्रयोग अधिक होता है। जबकि ज्यादातर पारंपरिक सड़कों में कोलतार या बिटुमेन (Bitumen) का प्रयोग होता है। कंक्रीट की बनी सड़कें टायर से घर्षण के दौरान अधिक गर्मी पैदा करती हैं। जो टायर के स्ट्रक्चर कोक्षतिग्रस्त कर सकता है। जिससे टायर फटने की आशंका बढ़ने लगती है।

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Tyre (टायर) को फटने से कैसे रोकें, अपनाएं यह टिप्स

  • टायरों में हमेशा तय मानक के अनुसार हवा भरवाएं। इसके लिए कार के मैनुअल में दिए गए निर्देशों को पढ़ें। स्टैंडर्ड लेवल तक हवा से भरवा कर रखें और समय-समय पर चेक भी कराते रहें। वैसे आपको बता दें कि टायरों में अगर थोड़ी बहुत हवा कम है तो कोई खास चिंता की बात नहीं है। मगर ज्यादा कम और बहुत अधिक प्रेशर भी न रहे।
  • जब आप सफर शुरू करते हैं तो जरूरी है कि पहले और मंजिल पर पहुंचने पर सभी टायरों में हवा का प्रेशर जरूर चेक करें। आजकल जो टायर गाड़ियों में लगकर आते हैं, उसमें ट्रेड वियर इंडिकेटर होता है। सलाह दी जाती है कि टायरों को 1.5 मिमी ट्रेड डेप्थ (गहराई) के न्यूनतम स्तर से अधिक न चलाएं। बता दें कि अगर कार का टायर इंडिकेटर तक घिस गया है तो समझ जाइए कि टायर को बदलने की जरूरत है।
  • वाहन में ओवरलोडिंग रोकने के लिए शासन-प्रशासन हमेशा ही सख्त रवैया अपनाता है। यह आपकी सुरक्षा के लिए ही होता है। जब आप लंबे सफर पर निकलते हैं तो एक्स्ट्रा पैसेंजर और लगेज दोनों को नजरअंदाज करें। इससे टायरों पर बेजा दबाव नहीं पड़ेगा। सफर का अनुभव भी सुखद होगा। आपने अक्सर ही देखा होगा कि लांग ट्रिप में बस या कार में ज्यादा लोग और ज्यादा सामान भर लेते हैं। इससे बचें।
  • कार, बाइक या कोई भी वाहन हो, उसमें अच्छी क्वॉलिटी और ब्रांडेड टायर ही लगवाएं। दरअसल, हम चंद रुपयों की बचत के लिए लोकल टायर लगवा लेते हैं। इससे बचें, क्योंकि यह छोटी सी गलती बड़े हादसे का कारण बन सकती है। वहीं, कार या वाहन में सवार लोगों के जान भी सकती है। यह भी गौर करने वाली बात है कि टायर कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर पर उपलब्ध ओरिजिनल टायर का प्रयोग करें।
  • फैशन या मोडिफिकेशन के दौरान कार के टायर या  साइज को यूं ही न बदल दें। इसके लिए कार निर्माताओं के दिशानिर्देशों का पालन करें। बिना सोचे-समझे वाहन का पहिया (wheel) या टायर कंपोनेंट्स में कोई बदलाव न कीजिए। इससे भी मानक डिसबैलेंस होने से टायर फटने का खतरा पैदा हो सकता है। हो सकता है बदला गया या टायर बेहतर हो, लेकिन क्या पता नया टायर कार निर्माता की ओर से निर्धारित गति व वजन सीमा को झेल पाने में सक्षम हो या न हो।
  • कार में लंबे सफर पर या वैसे भी स्पेयर व्हील यानी स्टेपनी जरूर रखें। अगर रास्ते में आपको आभास हो कि कोई टायर ज्यादा गर्म हो रहा है या उसका स्ट्रक्चर बदल रहा है तो उससे स्पेयर व्हील से तत्काल बदल दें। यदि टायर 50 फीसदी या उससे ज्यादा घिस गया है तब तो उसे बदल कर सफर पर निकलें। यदि अब भी आप के मन में कोई सवाल हो तो अधिकृत सर्विस सेंटर पर जाएं और वाहन के टायर की जांच करवा लें।
  • टायरों में सामान्य तौर पर नॉर्मल हवा भरी जाती है। यह तब से हो रहा है जब से वाहनों का आविष्कार हुआ है। मगर आप वाहन निर्माता कंपनियों की ओर से नाइट्रोजन गैस भरे जाने की सलाह दी जाती है। लंबी यात्राओं और एक्सप्रेस-वे के लिए नाइट्रोजन बेहतर मानी जाती है। नाइट्रोजन टायर के तापमान को कम रखता है। इससे टायर की उम्र बढ़ती है। टायर जल्दी गर्म नहीं होते। सामान्य हवा की तुलना में नाइट्रोजन ज्यादा स्थायी रहता है। नाइट्रोजन के जल्दी लीक होने की भी संभावना कम ही रहती है। 

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