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गोरखपुर के अविनाश विश्व के टॉप 10 AI एक्सपर्ट || फोर्ब्स मैगजीन के सर्वे में अविनाश है सातवें पायदान पर

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गोरखपुर के अविनाश विश्व के टॉप 10 AI एक्सपर्ट || फोर्ब्स मैगजीन के सर्वे में अविनाश है सातवें पायदान पर

Al Expert News Gorakhpur || उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रहने वाले अविनाश त्रिपाठी ने इतिहास रच दिया है। उन्हें दुनिया की प्रतिष्ठित फोर्ब्स पत्रिका ( forbes magazine ) ने उन्हें टॉप-10 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( Artificial Intelligence) और डेटा विशेषज्ञों ( Data Experts) में शामिल किया गया है। गोरखपुर के अविनाश त्रिपाठी दिनों अमेरिका में कार्यरत हैं। यह सर्वे दुनिया की प्रतिष्ठित डेटा नेटवर्क संस्था डेटा-आईक्यू की ओर से किया गया है और विशेषज्ञों की सूची तैयार की गई है। लिस्ट में अमेरिका के डेटा साइंस और एआई के 100 विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। अविनाश इसमें सातवें स्थान पर हैं। फोर्ब्स पत्रिका की ओर से इस लिस्ट को प्रकाशित किया गया है।

घघसरा के अलगटपुर गांव के हैं निवासी

अविनाश त्रिपाठी मूल रूप से गोरखपुर जिले के घघसरा क्षेत्र के अलगटपुर गांव के मूल निवासी हैं। वह इन दिनों अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ फीनिक्स  (University of Phoenix, America) में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर कार्यरत हैं। वह यूनिवर्सिटी ऑफ फीनिक्स में डेटा व एआई के मुख्य एनालिटिक्स भी हैं। अविनाश त्रिपाठी की प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर जिले में हुई है। सेंट जोसेफ़ से पांचवीं और लिटिल फ्लावर धर्मपुर से 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की है। डेटा साइंस ( Data Science) में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई अमेरिका के सदर्न इलिनोइस यूनिवर्सिटी (Southern Illinois University, USA) से की है। अविनाश बीते 21 साल में अमेरिका के अलग अलग विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक कार्य कर चुके हैं। अमेरिका में अविनाश की ख्याति उच्च शिक्षा में एआई के प्रसारकर्ता के तौर पर भी है। अविनाश अमेरिका में भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BhAI भाई) के संस्थापक सदस्य और सचिव हैं। इसी से गोरखपुर की धरती से उनके जुड़ाव को समझा जा सकता है। इस संस्था के माध्यम से वह अमेरिका में रह रहे भारतीयों को एकसूत्र में पिरोने का जज्बा रखते हैं। साथ ही वहां बसे भारतीयों की मदद भी करते हैं।

एआई के प्रति जागरूकता की है कमी

अविनाश मानते हैं कि डेटा और एआई को लेकर अभी भी लोगों में कम जागरूकता है। दुनिया की तमाम प्रतिष्ठित कंपनियां आंकड़ों के आधार पर निर्णय लेने से दूर हैं। इसे डेटा ड्रिवन डिसीजन मेकिंग कल्चर (Data Driven Decision Making Culture) भी कह सकते हैं। जानकार हैरान होंगे दुनिया में महज 30 प्रतिशत कंपनियां ही ऐसा करने में रुचि रखती हैं। जबकि, 70 प्रतिशत कंपनियों का प्रबंधन सेल्फ इंटीयूशन के आधार पर फैसला लेने में विश्वास रखती हैं। 

एआई में विस्तार व अपग्रेडेशन की बड़ी संभावना

आपको बता दें कि 500 बिलियन का स्टार्टअप एआई के विस्तार पर शुरू हो चुका है। हम जब भी एआई की बात करते हैं तो हमारे दिमाग में चैट जीपीटी का ख्याल आता है। इसे ही लोग एआई मान लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। चैट-जीपीटी  एआई का सिर्फ एक प्रतिशत है। यह शताब्दी डेटा और एआई के दौर का है। इसमें विस्तार और अपग्रेडेशन की अभी बड़ी संभावनाएं हैं, जिस पर काम जारी है। 

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