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Motivational Story || दुर्घटना ने फौज में जाने का मौका छीना || तो देश सेवा के लिए चुन लिया नर्सिंग का पेशा

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दुर्घटना ने फौज में जाने का मौका छीना तो देश सेवा के लिए चुन लिया नर्सिंग का पेशा


विश्व नर्स दिवस (12 मई 2024) पर विशेष

  • पब्लिक हेल्थ नर्स ट्यूटर बन कर एएनएम को सेवा का मंत्र सीखा रहे हैं चंद्र प्रकाश तिवारी
  • समुदाय के बीच जाकर मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों को भी कर रहे मजबूत

Up News || जनपद के एएनएम प्रशिक्षण केंद्र के पब्लिक हेल्थ नर्स (पीएचएन) ट्यूटर चंद्र प्रकाश तिवारी न केवल एएनएम को पढ़ाते हैं, बल्कि उनके साथ समुदाय के बीच जाकर मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं । मूलतः गोंडा जनपद के परसपुर सिलहटा गांव के रहने वाले चंद्र प्रकाश तिवारी का सपना फौज में जाने का था। वर्ष 2008 में हुई एक सड़क दुर्घटना में उनके पैर की फिटनेस चली गई, तो उन्होंने संकल्प लिया कि वह नर्सिंग का पेशा अपना कर देश की सेवा करेंगे। राजधानी के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) में बतौर स्टॉफ नर्स सेवा देने के बाद एमएससी नर्सिंग कर वर्ष 2022 से वह पीएचएन ट्यूटर की भूमिका निभा रहे हैं।

2008 में हुए थे दुर्घटना के शिकार

चंद्र प्रकाश के पिता और बाकी पांच भाइयों व माता में से कोई भी नर्सिंग पेशे से नहीं जुड़ा है। वह बताते हैं कि जब वह वर्ष 2008 में सड़क दुर्घटना के शिकार हुए तो अस्पताल में रहने के दौरान नर्सिंग पेशे को बेहद करीब से जानने का मौका मिला। पैर की दिक्कत के कारण जब उनका फौजी बन कर देश सेवा करने का सपना टूट गया, तो उन्होंने महसूस किया कि मेडिकल सेवा सबकी जरूरत है और इसके लिए नर्सिंग से अच्छा पेशा कुछ भी नहीं है। वर्ष 2015 में उन्होंने बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की और पीजीआई में सेवाएं भी दीं। इसके बाद उन्होंने एमएससी नर्सिंग की पढ़ाई की। कोविड के दौरान पीजीआई में सेवा देते समय वह दो बार कोविड पॉजीटिव हो गए। उनकी पत्नी भी स्टॉफ नर्स हैं और वह हरदोई जनपद में नर्स मेंटर व केजीएमयू में भी नर्सिंग ट्यूटर रह चुकी हैं।

कोविड काल रहा सबसे कठिन दौर

चंद्र प्रकाश बताते हैं कि सबसे कठिन दौर कोविड का रहा जब पति पत्नी दोनों अलग अलग रह कर समाज की सेवा कर रहे थे। परिवार के सपोर्ट से बच्चों की देखरेख हो सकी। इसे पेश में अगर परिवार के पास भी हैं तब भी ज्यादा समय अस्पताल में ही गुजरता है और यह दायित्व घड़ी देख कर पूरा नहीं किया जा सकता है। वह कहते हैं कि जब पीएचएन ट्यूटर बनने का मौका मिला तो महसूस किया कि शिक्षा के जरिये एएनएम की एक कुशल टीम तैयार करना भी सेवा का एक अच्छा मौका है। इस भूमिका के जरिये जिन एएनएम को शिक्षा देते हैं वह समाज में जाकर बेहतर कार्य कर सकती हैं। वह कहते हैं कि जमीनी स्तर पर समुदाय के बीच मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रमों को सुदृढ़ करने और संस्थागत प्रसव को बढ़ाना देने में एएनएम अहम कड़ी हैं। उनकी कोशिश होती है कि उनसे सीखने वाली एएनएम समाज में पूरे उर्जा के साथ दायित्व निभा सकें। उनके योगदान को देखते हुए वर्ल्ड नर्सेज डे 2023 पर उन्हें सम्मानित भी किया गया। वह इस समय ऑल इंडिया रजिस्टर्ड नर्सेज फेडरेशन (पीएचएन ट्यूटर विंग) के अध्यक्ष भी हैं।

पोषण संबंधी कार्यक्रमों को प्रदान कर रहे मजबूती

संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (बस्ती मंडल) डॉ. नीरज कुमार पांडेय का कहना है कि पीएचएन ट्यूटर चंद्र प्रकाश न केवल एएनएम को शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि समुदाय में जाकर लोगों को बीमारियों और सरकार के कार्यक्रमों के बारे में जागरूक भी करते हैं। वह लोगों के बीच परिवार नियोजन की महत्ता बताते हैं। साथ ही समुदाय में नियमित टीकाकरण का संदेश भी देते हैं। वह लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने क साथ साथ पोषण संबंधी कार्यक्रमों को भी मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

समझा कर किया तैयार

चंद्र प्रकाश बताते हैं कि जब एएनएम के साथ वह समुदाय के बीच पहली बार अध्ययन करने पहुंचे तो उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोग केस हिस्ट्री पूछने पर आपत्ति जताते थे। कई बार लोगों द्वारा उनको भगाने का भी प्रयास किया गया। धीरे धीरे जब आसपास के गांवों में परामर्श और सेवा सत्र आयोजित किया जाने लगा तो समुदाय से जुड़ाव बढ़ा। अब लोग बढ़ चढ़ कर रैलियों में हिस्सा लेते हैं। कई मौकों पर सैकड़ों की संख्या में लोगों को इकट्ठा कर जागरूक किया जाता है।

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