- टेंडर की प्रक्रिया हो चुकी पूरी, 43 करोड़ से बनेगी विधि विज्ञान प्रयोगशाला
- पीडब्ल्यूडी दो साल में निर्मित कर पुलिस विभाग को करेगा हस्तांतरित
- मोबाइल, खून, अंगुली व मादक पदार्थों समेत अन्य नमूनों की जांच के लिए मंडल में मिलेगी सुविधा
बस्ती। मंडल मुख्यालय पर बहुत जल्द ही विधि विज्ञान प्रयोगशाला यानी कि फारेंसिक लैब (forensic lab) का निर्माण शुरू हो जाएगा। इसके लिए शासन से स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पीडब्ल्यूडी (pwd) लैब का निर्माण करने के लिए तैयारी कर रहा है। इससे मादक पदार्थों, खून, अंगुली व मोबाइल के जरिए होने वाले अपराधों की जांच कर कम समय में नतीजा निकाला जा सकेगा और प्रभावी पैरवी की जा सकेगी।
यूपी में क्रियाशील हैं 12 फोरेंसिक लैब (forensic lab)
उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में कुल 12 फोरेंसिक लैब (forensic lab) संचालित हो रहे हैं। जहां सभी 70 जिलों से आए नमूनों की जांच होती है। इससे रिपोर्ट मिलने में तकरीबन 15 दिन से एक माह तक का समय लग जाता है। रिपोर्ट आने के बाद तब उन नमूनों की जांच को साक्ष्य के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें सबसे अधिक मादक पदार्थों के नमूनों की जांच में मुश्किलें आती हैं।
रिपोर्ट के लिए पुलिस को करना पड़ता है इंतजार
नतीजतन कोर्ट में पेश करने के लिए पुलिस को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। इधर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुश्किल को आसान करने के लिए मार्च में प्रदेश के बस्ती, अयोध्या, मिरजापुर, आजमगढ़, बांदा व सहारनपुर समेत छह जिलों में भी फोरेंसिक लैब बनाने का निर्देश दिया था।
43 करोड़ की लागत से बन रहा फोरेंसिक लैब (forensic lab)
इसके निर्माण की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को सौंपी गई है। बस्ती में निर्मित होने वाले इस लैब पर कुल 43 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। जिसमें लैब के अलावा परीक्षण से संबंधित अन्य संसाधनों का इंतजाम किया जाएगा।
फर्म को कार्य शुरू करने का निर्देश
पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि फोरेंसिक लैब (forensic lab) के लिए टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। काम शुरू करने के लिए कार्यदायी फर्म को दिशा-निर्देश दिए जा चुके हैं।
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