बस्ती मंडल के कमिश्नर ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र को सिर्फ जनपद के लिए मॉडल न बनाकर देश व प्रदेश के लिए मॉडल केंद्र बनाकर तकनीकी विस्तार के लिए कार्य करना चाहिए।
बस्ती (यूपी)। कमिश्नर अखिलेश सिंह ने आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज अयोध्या की ओर से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बंजरिया बस्ती का भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान कमिश्नर ने कृषि विज्ञान केंद्र पर स्थापित विभिन्न प्रदर्शन इकाईयों, नेट हाउस एवं पॉली हाउस के अंदर उगाई जा रही सब्जियों (टमाटर, बैंगन, मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, लौकी, तरोई, करेला) की नवीनतम प्रजातियों की नर्सरी एवं रंगीन आम की नवीनतम प्रजातियों जैसे पूसा श्रेष्ठ, पूसा पीतांबर, पूसा लालिमा, पूसा अरूणिका, पूसा अंबिका, टामी एट किंस, संसेशन, गुलाब खास आदि प्रजातियों की पौध नर्सरी का अवलोकन किया।
कमिश्नर ने केंद्र पर लगे आम, अमरूद, लीची, सेब, अनार, कीवी, अंजीर, आडू बुखारा, मौसमी, आंवला आदि के मातृ वृक्षों का अवलोकन कर उसके विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। केंद्राध्यक्ष प्रोफेसर एसएन सिंह ने कमिश्नर को बताया कि केवीके बस्ती को पं. दीन दयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त हुआ है। केंद्र पर आईएआरआई पूसा, नई दिल्ली से शीघ्र ही रिलीज हुई आम की नवीनतम प्रजाति पूसा दीपशिखा एवं पूसा मनोहरी तथा किन्नू संतरा, मौसमी, कटहल व खजूर के टीश्यू कल्चर पौध का रोपण कर केंद्र पर मातृवृक्ष तैयार किया जा रहा है तथा केंद्र के प्रक्षेत्र पर काला नमक धान की उन्नतिशील प्रजातियों पूसा ननरेंद्र काला नमक-1 एवं पूसा सीआरडी काला नमक-2 का बीजोत्पादन किया जा रहा है। इसका क्षेत्रफल आगामी वर्ष में और बढ़ाया जाएगा, जिससे पूर्वांचल के 11 जनपदों के कृषकों को काला नमक धान की उन्नतिशील प्रजातियों का बीज उपलब्ध हो सके।
कमिश्नर ने केंद्र के वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि वह नवीनतम तकनीकों का जनपद की एग्रो क्लाईमेट में परीक्षण कर जनपद में संस्तुति देने का कार्य करें तथा जनपद के किसानों को वर्ष भर नवीनतम प्रजातियों की सब्जी नर्सरी की उपलब्धता सुनिश्चित करें। कहा कि इस केंद्र को सिर्फ जनपद के लिए मॉडल न बनाकर देश व प्रदेश के लिए मॉडल केंद्र बनाकर तकनीकी विस्तार हेतु कार्य करना चाहिए।
कमिश्नर ने केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ मीटिंग कर सभी वैज्ञानिकों से विषयवार किए जा रहे कार्यों की जानकारी हासिल की। उन्होंने निर्देशित किया कि सभी वैज्ञानिक जनपद के बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार से जोड़ने के लिए उन्नत तकनीक की व्यवहारिक जानकारी प्रदान करें। कृषि का जीडीपी में 16.38 प्रतिशत योगदान है तथा खेती पर निर्भरता लगभग 65 प्रतिशत है। आप सभी का दायित्व बनता है कि उत्पादकता के साथ ही साथ पोषक तत्वों से भरपूर फसलों की प्रजातियों एवं फलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करें तथा त्वरित गति से नई तकनीक का जनपद में फैलाव करें।
कमिश्नर ने गुड़ प्रसंस्करण इकाई का निरीक्षण किया। उन्होंने वैज्ञानिकों को निर्देशित किया कि आप लोग जनपद के किसानों को प्रेरित करें कि वह ज्यादा से ज्यादा अपना गन्ना लाकर विभिन्न प्रकार की रेसपी का गुड़ उत्पादन का कार्य करें, जिससे जहां रोजगार का सृजन होगा, वहीं किसानों एवं बच्चों के मालन्यूट्रीशन के कमी की भी पूर्ति हो सकेगी। केंद्र पर फलों की इतनी प्रजातियों का कलेक्शन बहुत अच्छा है, जिसका लाभ जनपद, प्रदेश एवं देश के किसानों को मिल रहा है। यह एक प्रसंसनीय कार्य है।
कमिश्नर ने कहा कि जिले स्तर से केवीके को सहयोग प्रदान किया जाएगा, जिसमें अन्य प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन इकाई जैसे मशरूम उत्पादन एवं कृषक महिलाओं के लिए कम्युनिटी सेंटर की स्थापना के लिए प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया। भ्रमण के दौरान डॉ. डीके श्रीवास्तव, डॉ. वीबी सिंह, डॉ. प्रेम शंकर, निखिल सिंह आदि उपस्थित रहे।
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