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मां के होते हुए भी 22 साल अनाथों की तरह गुजारी जिंदगी || यूपी के इस युवक की कहानी सुनकर रह जाएंगे दंग || इस पर तो बन सकती है फिल्म

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मां के होते हुए भी 22 साल अनाथों की तरह गुजारी जिंदगी || यूपी के इस युवक की कहानी सुनकर रह जाएंगे दंग || इस पर तो बन सकती है फिल्म

Up News || कहानी पूरी तरीके से फिल्मी है। लेकिन हकीकत भी है। कहानी उत्तर प्रदेश के जिले से शुरू होती है। मुंबई का सफर करती है, दिल्ली में भी कुछ समय कहानी अपने आप को साझा करती है। उसके बाद वापस उत्तर प्रदेश के उसी जिले में आकर द एंड होता है। हम जब इस कहानी के क्लाइमैक्स के बारे में आपको बताएंगे तो सुनकर ही आप चकित रह जाएंगे। मामला अपहरण और दोबारा मिलन से जुड़ा हुआ है। जब वह 7 साल का था, तभी उसका अपहरण हो गया। जब वह 29 साल बाद अपनी मां से मिलने पहुंचा। तब वह जवान लड़का बन चुका था। जिसे देख मां की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। लड़के ने बताया कि सबकुछ होते हुए भी उसको भीख मांगकर गुजारा करना पड़ा। मां के होते हुए भी 29 साल अनाथ की तरह जिंदगी गुजारनी पड़ी।

आंख खुली तो मुंबई रेलवे स्टेशन पर खुद को पाया

लड़के का नाम अमित है। एक रोज अमित की आंख खुली तो खुद को मुंबई रेलवे स्टेशन पर पाया। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का रहने वाला था। लेकिन, उसे यह बात भूल चुकी थी। उसने बताया कि एक रोज उसकी मां ने गांव में ही पास की दुकान पर कुछ सामान लाने के लिए भेजा। इसी दौरान किसी ने उसे कुछ सुंघा दिया। वह बेहोश हो गया। मुंबई रेलवे स्टेशन पर जब आंख खुली तो तेज भूख लगी थी। कुछ सोच नहीं पा रहा था। जिस अमित को मां कहने से पहले ही खाने की थाली लाकर सामने रख देती थी। उसे रेलवे स्टेशन पर लोगों के सामने हाथ पसारना पड़ा। तब जाकर उसको खाना मिल सका। फिर तो अमित की यही दिनचर्या बन गई। अमित महीनों तक मुंबई रेलवे स्टेशन पर भीख मांग कर गुजारा करता रहा।

फिर एक दिन ट्रेन में बैठ कर दिल्ली आ गया

मुंबई रेलवे स्टेशन और वहां की सड़कों पर कई दिन गुजारने के बाद परेशान होकर अमित एक ट्रेन में सवार होकर दिल्ली आ गया। दिल्ली में भी वह भीख मांग कर पेट पालने लगा। तभी एक दिन दो पुलिस वाले उसे मिले। पूछा कि कहां के रहने वाले हो? अमित कुछ नहीं बता सका। केवल इतना कहा कि जिस गांव में वह रहता है वहां गुड़ बनाने वाले कोल्हू चलते हैं। बैलगाड़ी भी है। इसके अलावा उसे कुछ भी याद नहीं है। पुलिस वालों ने भी थोड़ी बहुत मशक्कत की और इसके बाद अमित को एक अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। अनाथ आश्रम में उसका कक्षा 6 में दाखिला कर दिया गया। यहां उसने एक ट्रस्ट के सहयोग 10वीं तक की पढ़ाई की। अमित का कहना है कि पढ़ाई के दौरान टीचर उसे बहुत मारते थे। इसलिए परेशान होकर वहां से भाग निकला।

देवदूत बनकर आए हरियाणा के पुलिस सब इंस्पेक्टर

अनाथ आश्रम से निकलकर बाहर आने के बाद अमित ने गाजियाबाद के एक शेल्टर होम में काम ढूंढ लिया। यहां एक रोज उसकी मुलाकात हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार से हुई। राजेश कुमार कई साल तक अमित को उसके परिवार से मिलने की कोशिश करते रहे। आखिरकार उन्हें कामयाबी भी मिली। दरअसल वह एक गुमशुदा बच्चे की तलाश में दिल्ली पहुंचे थे। पूछताछ के सिलसिले में वह शेल्टर होम में आए थे। जहां उनकी अमित से मुलाकात हुई। अमित अब युवा हो चुका था। उसे थोड़ा बहुत याद आने लगा कि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर जिले का रहने वाला है। हालांकि गांव के बारे में उसका पता नहीं है। राजेश कुमार की ही मेहनत रही की अमित की दोबारा परिवार से मुलाकात हो सकी। अमित जब गांव पहुंचा, तो वहां का माहौल कुछ ऐसा था कि हर किसी की आंख में आंसू थे। इसे लोग दैवीय कृपा बता रहे थे। क्योंकि इस तरह के वाकयात तो केवल फिल्मों में ही देखने सुनने को मिलते हैं।

मां मेरा किसी ने अपहरण कर लिया था

अमित जब मुजफ्फरनगर की घुमावती गांव पहुंचे, तो उसकी मां ने जब अपने बेटे को 22 साल बाद देखा तो उसकी आंखों में आंसू थे। यह आंसू खुशी के थे। गांव में अमित से मिलने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई। तब अमित ने बताया कि मां मेरा अपहरण हो गया था, तो लोग हैरान रह गए। अमित ने बताया कि जब वह गांव में परचून की दुकान पर कुछ सामान लेने गया था, तभी किसी ने उसे पीछे से पकड़ लिया। कोई नशीला पदार्थ सुंघा कर बेहोश कर दिया। जब उसकी आंख खुली तो खुद को मुंबई में पाया। इसके बाद की कहानी तो आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं।

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